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सोमवार, 4 दिसंबर 2017

hindi gazal / muktika 2

हिंदी ग़ज़ल / मुक्तिका
पाठ २ 
हिंदी ग़ज़ल को मुक्तिका कहें क्योंकि हर द्विपदी (दो पंक्तियाँ या शे'र) शेष से मुक्त अपने आप में पूर्ण होती हैं। मुक्तिका में पदांत तथा तुकांत गज़ल की ही तरह होता है किन्तु पदभार (पंक्ति का वजन) हिंदी मात्रा गणना के अनुसार होता है। इसे हिंदी के छंदों को आधार बनाकर रचा जाता है।  उर्दू ग़ज़ल बहर के आधार पर रची जाती है तथा वजन तकती'अ के मुताबिक देखा जाता है. जरूरत हो तो लघु को गुरु और गुरु को लघु पढ़ा जा सकता है, मुक्तिका में यह छूट नहीं होती। 
लयखंड / गण / रुक्न -
अक्षर (हर्फ़) मिलकर शब्द बनाते हैं। शब्दों का समूह वाक्य है जिसका प्रयोग गद्य लिखने में किया जाता है। पद्य लेखन में लय का महत्त्व सर्वविदित है। लयखंड अक्षरों का ऐसा समूह होता है जिसकी आवृत्ति अथवा जिनके सम्मिश्रण से गायी जा सकने वाली काव्य पंक्तियाँ बन सकें। ध्वनि, अक्षर व मात्रा के दो रूप लघु (ह्रस्व, छोटी) व् दीर्घ (बड़ी) हैं जिनका भार (वज़न) क्रमश: १ तथा २ गिना जाता है। 
गण: 
हिंदी पिंगल में लय-खंड ८ हैं जिन्हें गण कहा जाता है। इन्हें एक सूत्र 'यमाताराजभानसलगा' से याद रखा जा सकता है। प्रथम आठ अक्षर गण  का नाम बताते हैं जिसके साथ अगले दो अक्षर मिलकर उस गण का भार सूचित करते हैं-
यगण    यमाता     १२२   ५ मात्री    दुलारा, पिला दे, उठा ला  
मगण    मातारा     २२२   ६ मात्री    मायावी, दे ताली, राजा जी   
तगण    ताराज      २२१   ५ मात्री    वातास, दो बोल, आओ न 
रगण     राजभा      २१२   ५ मात्री    रंजना, भोर में, हे उषा 
जगण    जभान      १२१    ४ मात्री    बयार, उठा न, न मार 
भगण    भानस      २११    ४ मात्री    देवर, बोल न, जा मत 
नगण    नसल        १११    ३ मात्री    कथन, कह न, न रुक 
सगण    सलगा       ११२   ४ मात्री    करनी, वर दे, न कहो 
रुक्न (बहुवचन अरकान): 
(अ) उर्दू छंदशास्त्र के ७ बुनियादी इरकान निम्न हैं-
फ़ऊलुं  १२२                ५ हर्फ़ी      सवाली, कहो तो, सही है    (यगण)     
फ़ाइलुं  २१२                ५ हर्फ़ी      वायदा, मात दी, है यही     (रगण)     
मुस्तफ़इलुं २१११२        ७ हर्फ़ी      नायबगिरी, ये वतन है      (भगण लघु गुरु, गुरु लघु सगण, गुरु नगण गुरु)
मफ़ाईलुं १२२२            ७ हर्फ़ी      करामाती, कहाँ जाएँ         (यगण गुरु, लघु मगण) 
फ़ाइलातुं  २१२२           ७ हर्फ़ी      तीनतारा, चाँद आया        (रगण गुरु, गुरु यगण)
मुतफ़ाइलुं                   ७ हर्फ़ी      फ़रमाइशी, अपना जहां     (सगण नगण) 
मफ़ऊलात                   ७ हर्फ़ी      खुदमुख्तार,                    (सगण गुरु लघु, लघु लघु तगण)
ज़िहाफ़ (इरकान में बदलाव) 
फ़ाइलातुन के अंत में 'न' को हटा दें तो शेष फ़ाइलातु (फ़ाइलात) तथा 'तुन' को हटा दें तो फ़ाइला (फाईलुं) शेष रहेगा। 
मफ़ाईलुं से 'न' गिराकर मफ़ाईल, मफ़ऊलात 'त' हटाकर मफ़ऊला (मफ़ऊलुं), मफ़ऊलुं से मफ़ऊलु (मफ़ऊल), फ़ऊलुं से फ़ऊल (जगण) बनाया जाता है। फऊलुं से फ़ गिराने पर ऊलुं बचता है जिसे फेइलुं लिखा जाता है।  इरकान में बदलाव करने को ज़िहाफ़ कहा जाता है। ज़िहाफ़ों (ज़िहाफ़ात) से उर्दू शायरी की खूबसूरती बढ़ती है। ज़िहाफ़ के ३ तरीके है- 
१. इज़ाफ़ा - अक्षर बढ़ाना। 
२. सुकूत - एक या अधिक अक्षर गिराना (घटाना)। जैसे मफ़ाईलुं से 'ईलुं'  गिरा दें तो 'मफ़ा' बचा जिसे 'फइल' (नगण) लिखते तथा 'फ़ेल' पढ़ते हैं।     
३. तहरीक - साकित अक्षर को मुतहर्रिक (चलता हुआ) करना।      
ज़िहाफ़ के २ और प्रकार  'ख़ास' और 'आम' ज़िहाफ़ भी हैं।   
(आ) मुज़ाहिफ़ (ज़िहाफ़ से प्रभावित या परिवर्तित) इरकान- 
दो हर्फ़ी      -  फई  (फ़ा)
तीन हर्फ़ी   -  फ़ेल (फ़इल), फ़ाइ 
चार हर्फ़ी    -  फ़ऊल, फ़ेइलुं 
पाँच हर्फ़ी   -   मफ़ऊल, फेइलात  
छ: हर्फ़ी     -  मफ़ाईल, फ़ाइलात, मफ़ाइलुं, मफ़ऊलुं, फेइलातुं, मुफ़्तइलुं
सात हर्फ़ी   -  मफ़ाइलतुं, मफ़ाईलां
आठ हर्फ़ी   -  मुस्तफइलान, फ़ाइलातान, मफ़ाईलान 
रेखांकित अक्षर (हर्फ) में मात्रा बहुत संक्षिप्त है जिसकी गणना नहीं की जाती। उर्दू छंद शास्त्र में गुरु को दो लघु और दो लघु को गुरु करने से एक रुकन के कई मात्रिक समायोजन बनते हैं। ध्यान रहे कि लघु-गुरु का क्रम न बदले। 
फाइलातुन = २१२११ है गनीमत, १११२११ रहम तो कर, २१११११ बोल कुछ मत, २१२२ आदमी को, १११११११ कल तलक हम, २१११२ भूल गलती, १११२२ सनम आजा आदि।  
कुछ अरूजियों ने आठ और नौ हर्फ़ी इरकान बनाने की कोशिश की है। नए-नए इरकान लगातार बनाये जा रहे हैं। 
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