ॐ
विश्व वाणी हिंदी संस्थान - समन्वय प्रकाशन अभियान जबलपुर
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ll हिंदी आटा माढ़िए, उर्दू मोयन डाल l 'सलिल' संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल ll
ll जन्म ब्याह राखी तिलक, गृह प्रवेश त्यौहार l 'सलिल' बचा पौधे लगा, दें पुस्तक उपहार ll
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*शिक्षिका, जबलपुर
संपर्क: ९४२५३ ८३६१६
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जय गणपति जय गजवदन, कृपा सिंधु गणराज
विघ्न हरण मंगल करण, पूरण कीजो काज
विघ्न हरण मंगल करण, पूरण कीजो काज
श्री गणेश घर आ गये, भाग्य जगाने आज
यही विनय करिए कृपा, हारें विघ्न गणराज
यही विनय करिए कृपा, हारें विघ्न गणराज
अरज हमारी भी सुनो, कृपा सिंधु भगवान
बालक, पालक को मिले, ज्ञान बुद्धि वरदान
बालक, पालक को मिले, ज्ञान बुद्धि वरदान
कृपा करो माँ शारदे, धरूँ तुम्हारा ध्यान
अपने हाथों कर सकूँ, जगती का कल्याण
अपने हाथों कर सकूँ, जगती का कल्याण
मिले आपकी दृष्टि से, विमल बुद्धि-पतवार
चढ़कर नौका ज्ञान की, हों भव सागर पार
चढ़कर नौका ज्ञान की, हों भव सागर पार
सब पढ़कर आगे बढ़ें, ऐसा करें प्रयास
सबके जीवन में रहे, शिक्षा-ज्ञान प्रकाश
सबके जीवन में रहे, शिक्षा-ज्ञान प्रकाश
भारत माता को करें, शीश समर्पित वीर
गर्व सपूतों पर करे, भारत माता धीर
गर्व सपूतों पर करे, भारत माता धीर
आला व्रत हरितालिका, और पिया का साथ
कर पूजन शिव-पार्वती, लिए हाथ में हाथ
कर पूजन शिव-पार्वती, लिए हाथ में हाथ
मुरलीधर चितचोर ने, जियरा लियो चुराय
ऐसी प्रीत लगी मुझे, पल भर चैन न आय
ऐसी प्रीत लगी मुझे, पल भर चैन न आय
प्रेमगीत मैं लिख सकूँ, मन कर दो रसखान
गुरु केशव की दृष्टि से, देखें है अरमान
हिन्दी माता से मिले, मुझको यह वरदान
शब्द साधना कर सके, मेरी जग उत्थान
शब्द साधना कर सके, मेरी जग उत्थान
ईश कृपा से गुरु मिले, गुरूकृपा से ज्ञान
इसी ज्ञान के दीप से, तम पर हो संधान
इसी ज्ञान के दीप से, तम पर हो संधान
बूँदों के सिंगार से, माटी हुई निहाल
ख़ुशबू सौंधापन लिए, लगती मालामाल
ख़ुशबू सौंधापन लिए, लगती मालामाल
आभा ऐसी दीजिये, जगमग हो संसार
हृदय प्रीति पावन पले, मेटे द्वेष-विकार
हृदय प्रीति पावन पले, मेटे द्वेष-विकार
वीर शिवाजी सा बनूँ, माँ मैं भी रण-वीर
अम्बर सा ऊँचा बनूँ, और उदधि सा धीर
अम्बर सा ऊँचा बनूँ, और उदधि सा धीर
शिव-शक्ति का आराधन, करता है संसार
शिवमय है सारा जगत, शिव की शक्ति अपार
शिवमय है सारा जगत, शिव की शक्ति अपार
मैं तुमसे कैसे कहूँ, श्याम नयन की बात
नैनों से मन पर करें, घात और प्रतिघात
नैनों से मन पर करें, घात और प्रतिघात
मीठी वाणी से बनें, बिगड़े सारे काम
मीठी वाणी से मिलें, जीज़स, अल्ला, राम
मीठी वाणी से मिलें, जीज़स, अल्ला, राम
रावण पुतला जलाते, जला न पाए गर्व
यदि मन में रावण पले, व्यर्थ मनाते पर्व
यदि मन में रावण पले, व्यर्थ मनाते पर्व
सभा बीच बैठे रहे, शीश झुकाए वीर
ख़ुद को मन में कोसते, नैन बरसता नीर
अपने ही हाथों लगी, अपनी नारी दाँव
भाई मधुसूदन अदिख, दें शरणागति-ठाँव
ख़ुद को मन में कोसते, नैन बरसता नीर
अपने ही हाथों लगी, अपनी नारी दाँव
भाई मधुसूदन अदिख, दें शरणागति-ठाँव
मत देकर मत भूलना, मत करना विश्वास
मत देकर होगी नहीं, पूरी मन की आस
मत देकर होगी नहीं, पूरी मन की आस
शब्दों ने मिलकर किया, शब्दों का श्रंगार
शब्दों की दुल्हन सजी, शब्दों के गलहार
शब्दों की दुल्हन सजी, शब्दों के गलहार
राम-राज सब चाहते, तजें नहीं सुख-सेज
सुख-साधन के दिवाने, दुःख से है परहेज
सुख-साधन के दिवाने, दुःख से है परहेज
साजन दिल के पास हैं, भले नज़र से दूर
मैं तो उनके नाम से, हुई जगत मशहूर
मैं तो उनके नाम से, हुई जगत मशहूर
ये मौसम मधुमास का, करे जिया बेचैन
जोगन, बिरहिन क्या करे, तड़पत है दिन-रैन
जोगन, बिरहिन क्या करे, तड़पत है दिन-रैन
साजन चाहे दूर हों, रहे मिलन की आस
बुझती उनकी याद से, है जन्मों की प्यास
बुझती उनकी याद से, है जन्मों की प्यास
दुर्गा पूजें लूटकर, माँ बहनों की लाज
कन्या-वध कर कराते, कन्या-भोजन आज
कन्या-वध कर कराते, कन्या-भोजन आज
सिक्के के दो रूप हैं, सुख-दुख एक समान
दोनों में जो सम रहे, हैं वह मनुज महान
दोनों में जो सम रहे, हैं वह मनुज महान
माता की आराधना, है गरबा की धूम
दीपक लेकर हाथ में, सखियाँ नाचीं झूम
दीपक लेकर हाथ में, सखियाँ नाचीं झूम
आज सभी को लग रही, हिन्दी गुण की खान
रहे साल भर क्यों सभी, हिन्दी से अनजान
रहे साल भर क्यों सभी, हिन्दी से अनजान
अलंकार, रस, छंद ,लय, है हिन्दी की जान
आभूषण से है सजी, नूतन वधू समान
आभूषण से है सजी, नूतन वधू समान
हिन्दी में आनंद है, हिन्दी रस की खान
सब भाषाओं में लगे, हिन्दी मुझे महान
सब भाषाओं में लगे, हिन्दी मुझे महान
हिन्दी शीतल छाँव है, हिन्दी मन्द बयार
भीषण गर्मी में लगे, जैसे प्रथम फुहार
भीषण गर्मी में लगे, जैसे प्रथम फुहार
हिन्दी गुरु की डाँट है , हिन्दी है पुचकार
हिन्दी ममता मात की, हिंदी प्रिय का प्यार
हिन्दी ममता मात की, हिंदी प्रिय का प्यार
हिंदी अपने आँचल का सदा, देती सबको प्यार
सभी बोलियाँ मानती, हिंदी का उपकार
सभी बोलियाँ मानती, हिंदी का उपकार
मैं मीरा सी बावली , घट-घट ढूँढूँ श्याम
मन वृंदावन हो गया, नैन हुए घनश्याम
मन वृंदावन हो गया, नैन हुए घनश्याम
प्रियतम तेरी याद ने, किया मुझे बेचैन
मन दहके अंगार सा, बरबस बरसें नैन
मन दहके अंगार सा, बरबस बरसें नैन
सत, रज, तम का मेल है, ये सारा संसार
तीनों को हम साध लें, भवसागर हो पार
तीनों को हम साध लें, भवसागर हो पार
बेरहमी से कट गए, दो वीरों के शीश
रहम न अरि के साथ हो, कृपा करो जगदीश
रहम न अरि के साथ हो, कृपा करो जगदीश
घट-घट में बस तू रमें, हर घट तेरा वास
याद करे जो भी तुझे, तू है उसके पास
याद करे जो भी तुझे, तू है उसके पास
टेढ़ी-मेढ़ी बोलिये , हिंदी मिले पनाह
इसे सीखने की दिखे, सबमें अदभुत चाह
इसे सीखने की दिखे, सबमें अदभुत चाह
हिन्दी शिष का मान है, गुरु का है आशीष
हिन्दी माँ के सामने, झुक जाता है शीश
हिन्दी ग्राह्य, सरल, सहज, हिन्दी मेरी जान
हिन्दी मन को मोहती, हिन्दी मेरी शान
हिन्दी माँ के सामने, झुक जाता है शीश
हिन्दी ग्राह्य, सरल, सहज, हिन्दी मेरी जान
हिन्दी मन को मोहती, हिन्दी मेरी शान
दुर्गा सीता सावित्री, हर एक शक्ति महान
गंगा गीता गायत्री, सब हैं गुण की खान
गंगा गीता गायत्री, सब हैं गुण की खान
नारी में देवी बसी, माने सकल समाज
परनारी को मान दें, भगिनी कह सब आज
रवि के ग़ुस्से से हुआ, सारा जग बेज़ार
हे! बरखा रानी करो, कुछ इसका उपचार
हे! बरखा रानी करो, कुछ इसका उपचार
अबला से सबला बनी, अब भारत की नार
रक्षा मंत्री बन गयी ले, शिक्षा की ढार
रक्षा मंत्री बन गयी ले, शिक्षा की ढार
एकाकीपन डस रहा, आ मिल जा तू मीत
जीवन-वीणा से झरे, मधुर-मधुर संगीत
जीवन-वीणा से झरे, मधुर-मधुर संगीत
बूँदों के सिंगार से, माटी हुई निहाल
ख़ुशबू सौंधापन लिए, लगती मालामाल
ख़ुशबू सौंधापन लिए, लगती मालामाल
मिले रंग सदभाव के, रँगा सकल संसार
है अबीर-हुडदंग की, होली में भरमार
है अबीर-हुडदंग की, होली में भरमार
रंग न बढ़कर प्रेम से, गाढ़ा दूजा रंग
प्रेम इबादत कीजिए, पी प्रिय-स्मृति-भंग
एक दूसरे से मिलें, राम-रहीम न दूर
रंग एकता का चढ़े, होली में भरपूर
प्रेम इबादत कीजिए, पी प्रिय-स्मृति-भंग
एक दूसरे से मिलें, राम-रहीम न दूर
रंग एकता का चढ़े, होली में भरपूर
राधा बोली श्याम से, पूछ न मन की बात
तेरी बाँसुरिया करे, सीने पर आघात
तेरी बाँसुरिया करे, सीने पर आघात
कॉफ़ी पर हम साथ हों, ले हाथों में हाथ
बातों का ये सिलसिला, रहे हमेशा साथ
बातों का ये सिलसिला, रहे हमेशा साथ
हाड कँपाये दे रही, ये जाड़े की रात
दूरी मजबूरी हुई, मचल रहे जज्बात
दूरी मजबूरी हुई, मचल रहे जज्बात
दिल तो तुम्हें पुकारता, तुमने दिया बिसार
फुरकत में शब बीतती, सुनो हाल सरकार
फुरकत में शब बीतती, सुनो हाल सरकार
झूठे बंधन जगत के, बने सहारा कौन?
कश्ती है तूफान में, दिखता न तट, हूँ मौन
कश्ती है तूफान में, दिखता न तट, हूँ मौन
प्रेम-दीप हम जलाते, दीप तले अँधियार
हम भारत की नारियाँ, कभी न मानें हार
हम भारत की नारियाँ, कभी न मानें हार
हाथ बढ़ाये शत्रु गर, करें लपक कर वार
हो कैसी भी परीक्षा, थामे तुम पतवार
हो कैसी भी परीक्षा, थामे तुम पतवार
प्रेम लुटाता जो उसे, मिले प्रेम-व्यवहार
मंगल तक पहुँचीं मगर, पहले निज परिवार
मंगल तक पहुँचीं मगर, पहले निज परिवार
जो बर्बर गुर्रा रहे, करतीं डट प्रतिकार
तूफ़ानों में घिरें तो, बनतीं हम पतवार
तूफ़ानों में घिरें तो, बनतीं हम पतवार
अपना जीवन बनातीं, ले शिक्षा हथियार
अबला अब नारी नहीं, छीने निज अधिकार
अबला अब नारी नहीं, छीने निज अधिकार
दुर्गम दुर्ग भले मगर, कभी न मानी हार
गौरी काली छवि धरे, करने अरि-संहार
गौरी काली छवि धरे, करने अरि-संहार
जीवन-रण हारे नहीं, जीवन प्रभु-उपहार
कोशिश कर रण जीत लें, मिले हार को हार
कोशिश कर रण जीत लें, मिले हार को हार
क्यों मर जाने पर करे, दुनिया हमको याद?
मौत बाद मजमा लगा, करे अश्क़ बरबाद
मौत बाद मजमा लगा, करे अश्क़ बरबाद
कभी-कभी तुझमें दिखें, ईश्वर अल्ला राम
दिल को मिल जाता तभी, देख तुझे आराम
दिल को मिल जाता तभी, देख तुझे आराम
माटी की यह देह जल, पल में होगी राख
आत्म-दीप जलता रहे, मिटे न इसकी साख
आत्म-दीप जलता रहे, मिटे न इसकी साख
तुलसी बाबा कह गये, समरथ का कब दोष?
नौ सौ चूहे खा लिए, पर बिल्ली निर्दोष
नौ सौ चूहे खा लिए, पर बिल्ली निर्दोष
मौसम है संक्रान्ति का, नभ में उड़े पतंग
तिल गुड़ सम हम मिल गये, प्रीत-प्यार के संग
राशि मकर में आ बसे, हैं सूरज भगवान
सरसों-टेसू ओढ़ती, धरती चूनर मान
तिल गुड़ सम हम मिल गये, प्रीत-प्यार के संग
राशि मकर में आ बसे, हैं सूरज भगवान
सरसों-टेसू ओढ़ती, धरती चूनर मान
धरती हो जाना नहीं, किंचित भी आसान
पत्थर दिल भी मोम सा, हो जाता नादान
पत्थर दिल भी मोम सा, हो जाता नादान
आग उगलता क्रोध से, सूरज को अभिमान
कीर्तिमान गढ़ ताप के, दग्ध आप कर मान
कीर्तिमान गढ़ ताप के, दग्ध आप कर मान
तुम गुलाब कहते मुझे, रस में सिक्त शबाब
एक किरण मैं तुम्हारी, तुम कहते महताब
एक किरण मैं तुम्हारी, तुम कहते महताब
जन गण मन का आज तक, वही हाल-बेहाल
जनता के घर लुट गये, मंत्री बने कुबेर
झोंपड़ियों को फूँककर, करें महल अंधेर
आधे हिंदुस्तान में, क़ुदरत का कुहराम
इंद्र देव के क्रोध से, रक्षा करिए राम
गंगा माँ के हृदय में, मचा हुआ भूचाल
क्या होगा अब क्या पता, मानव का अंजाम
इंद्र देव के क्रोध से, रक्षा करिए राम
गंगा माँ के हृदय में, मचा हुआ भूचाल
क्या होगा अब क्या पता, मानव का अंजाम
पेड़ कटा जीवन घटा, समझ मनुज नादान
पेड़ों से सबको मिले, भोजन वस्त्र मकान
पेड़ों से सबको मिले, भोजन वस्त्र मकान
कितनी वधुओं के जले, इस दहेज से पाँव
जाएगा कब छोड़कर, दानव मेरा गाँव
जाएगा कब छोड़कर, दानव मेरा गाँव
शाम गुज़ारी मज़े में, आज सखी के साथ
मूवी मैजिक में गये, ले हाथों में हाथ
मूवी मैजिक में गये, ले हाथों में हाथ
हर नारी को अब मिले, यथा उचित सम्मान
भूले से भी हो नहीं, नारी का अपमान
केवल साधन कह न कर, नारी का अपमान
झूठा आराधन न हो, उसको देवी मान
बेचारी कह मत करो दया, न अत्याचार
आत्म शक्ति के साथ हो , सदा समादृत नार
भूले से भी हो नहीं, नारी का अपमान
केवल साधन कह न कर, नारी का अपमान
झूठा आराधन न हो, उसको देवी मान
बेचारी कह मत करो दया, न अत्याचार
आत्म शक्ति के साथ हो , सदा समादृत नार
नेताओं को चाहिए , वोटों की भरमार
वोट-वोट से ही बने, नेता की सरकार
बेचारी जनता पिसे, नेता की सरकार
अपने हित के वास्ते, करती मारा-मार
भजते आका को रहे, जनता का हित भूल
रहे पुछल्ले ही सदा, ऐसे नेता शूल
वोट-वोट से ही बने, नेता की सरकार
बेचारी जनता पिसे, नेता की सरकार
अपने हित के वास्ते, करती मारा-मार
भजते आका को रहे, जनता का हित भूल
रहे पुछल्ले ही सदा, ऐसे नेता शूल
साल महीने हो गये, आयी तुम्हें न याद
पागल मन बरबस करे, मिलने की फ़रियाद
निपट अकेलापन डसे, आँखें हैं बेचैन
इस आलम में आ मिलो, जीवन पाए चैन
गुरुनानक के गह चरण, कर कर जोड़ प्रणाम
गुरु नाराज़ न हों कभी, ऐसा करो न काम
गुरु नाराज़ न हों कभी, ऐसा करो न काम
हर धड़कन में चल रहा, माँ शारद जा जाप
हिन्दी की सेवा करूँ, ऐसा वर दें आप
हिन्दी की सेवा करूँ, ऐसा वर दें आप
सालगिरह की रात ये, तुम हो मुझसे दूर
चार टके की नौकरी, मिलने से मजबूर
दिवस बिताते काम में, लौटे शाम जरूर
रोज़ कमाकर खा रहे, हमसे भले मजूर
चार टके की नौकरी, मिलने से मजबूर
दिवस बिताते काम में, लौटे शाम जरूर
रोज़ कमाकर खा रहे, हमसे भले मजूर
तेरे-मेरे बीच में, ये कैसा संबंध?
जैसे ख़ुशबू का हुआ, पवन संग अनुबंध
जैसे ख़ुशबू का हुआ, पवन संग अनुबंध
आज बुराई पर हुई, अच्छाई की जीत
अंतर का रावण मरे, नई चलाओ रीत
अंतर का रावण मरे, नई चलाओ रीत
मामूली सा पद मिला, समझ रहे सुल्तान
तुच्छ समझते अन्य को, दिया ण पाया मान
तुच्छ समझते अन्य को, दिया ण पाया मान
अपना स्वेद लहू लगे, लहू अन्य का स्वेद
सभी मुसाफ़िर हैं यहाँ, समझ नए भेद
आँखों में आँसू मगर, होठों पर मुस्कान
दोहरा जीवन जी रहे, नाहक हम नादान
गुलशन है जीवन मगर, मंजिल क्यों शमशान?
अंत जुदाई प्यार का, क्यों होता भगवान?
विश्वासों ने ही किया, अपनेपन का नाश
ऊँचे महलों ने दिया, रिश्तों को वनवास
चेत, न अबसे पर्व हो, कचरे का अंबार
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