लहर-लहर लहरित सलिल, अमल-विमल कलकल सतत, निरख-निरख जन-मन मुदित.
घहर-घहर घरशित सरित, छिटक-छिटक प्रमुदित अमित, बिखर-बिखर कण-कण क्षरित.
चरण-चरण कर सुख वरण, कदम-कदम हर दुख हरण, सिहर-सिहर तृण-तृण दमित.
बरस-बरस जलधर धवल, तरुवर मुरझित बढ़ हरित, मरु-गुलशन कर रवि उदित.
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017
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