हिंदी के नए छंद १७
मतिमान छंद
*
विधान:
१. प्रति पंक्ति मात्रा २१
२. पदादि गुरु
३.पदांत लघु गुरु लघ गुरु
४. यति ११-१०
*
लक्षण छंद:
ग्यारह-दस यति रखें सदा मतिमान जी
हो पदादि गुरु, रहे- पदांत जगांत रगांत जी
'जो बोया वह काट', सत्य मत भूलना
स्वप्न करो साकार, तभी सुख-झूलना
*
उदाहरण:
कौन किसी का सदा, सोच अनुमान रे!
खोज न बाहर, आप- बनो प्रतिमान रे!!
हो अनदेखी अगर, राह मत छोड़ना।
मंजिल पाए बिना, पाँव मत मोड़ना।।
***
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
www.divyanarmada.in, #हिंदी_ब्लॉगर
मतिमान छंद
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विधान:
१. प्रति पंक्ति मात्रा २१
२. पदादि गुरु
३.पदांत लघु गुरु लघ गुरु
४. यति ११-१०
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लक्षण छंद:
ग्यारह-दस यति रखें सदा मतिमान जी
हो पदादि गुरु, रहे- पदांत जगांत रगांत जी
'जो बोया वह काट', सत्य मत भूलना
स्वप्न करो साकार, तभी सुख-झूलना
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उदाहरण:
कौन किसी का सदा, सोच अनुमान रे!
खोज न बाहर, आप- बनो प्रतिमान रे!!
हो अनदेखी अगर, राह मत छोड़ना।
मंजिल पाए बिना, पाँव मत मोड़ना।।
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