कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

doha

दोहा सलिला 
*
हर सिक्के में हैं सलिल, चित-पट दोनों साथ 
बिना पैर के मंज़िलें, कैसे पाए हाथ 
*
पुत्र जन्म हित कर दिया, पुत्री को ही दान
फिर कैसे हम कह रहे?, है रघुवंश महान?
*
सत्ता के टकराव से, जुड़ा धर्म का नाम
गलत न पूरा दशानन, सही न पूरे राम
*
मार रहे जो दशानन , खुद करते अपराध
सीता को वन भेजते, सत्ता के हित साध
*
कैसी मर्यादा? कहें, कैसा यह आदर्श?
बेबस को वन भेजकर, चाहा निज उत्कर्ष
*
मार दिया शम्बूक को, अगर पढ़ लिया वेद
कैसा है दैवत्व यह, नहीं गलत का खेद
*

****
salil.sanjiv@gmail.com, 9425183244 
http://divyanarmada.blogspot.com
#hindi_blogger

कोई टिप्पणी नहीं: