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बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

एक रचना 
*
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
मत करें संकोच
सच कहिये, नहीं शर्माइये।
*
मिली आज़ादी चलायें जीभ जब भी मन करे
कौन होते आप जो कहते तनिक संयम वरें?
सांसदों का जीभ पर अपनी, नियंत्रण है नहीं
वायदों को बोल जुमला मुस्कुराते छल यहीं
क्या कहूँ?
कैसे कहूँ?
क्या ना कहूँ समझाइये?
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
*
आ दिवाली कह रही है, दीप दर पर बालिये
चीन का सामान लेना आप निश्चित टालिए
कुम्हारों से लें दिए, तम को हराएँ आप-हम
अधर पर मृदु मुस्कराहट हो तनिक भी अब न कम
जब मिलें
तब लग गले
सुख-दुःख बता-सुन जाइये
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
*
बाप-बेटे में न बनती, भतीजे चाचा लड़ें
भेज दो सीमा पे ले बंदूक जी भरकर अड़ें
गोलियां जो खाये सींव पर, वही मंत्री बने
जो सियासत मात्र करते, वे महज संत्री बनें
जोड़ कर कर
नागरिक से
कहें नेता आइये
एक रचना
*
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
मत करें संकोच
सच कहिये, नहीं शर्माइये।
*
मिली आज़ादी चलायें जीभ जब भी मन करे
कौन होते आप जो कहते तनिक संयम वरें?
सांसदों का जीभ पर अपनी, नियंत्रण है नहीं
वायदों को बोल जुमला मुस्कुराते छल यहीं
क्या कहूँ?
कैसे कहूँ?
क्या ना कहूँ समझाइये?
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
*
आ दिवाली कह रही है, दीप दर पर बालिये
चीन का सामान लेना आप निश्चित टालिए
कुम्हारों से लें दिए, तम को हराएँ आप-हम
अधर पर मृदु मुस्कराहट हो तनिक भी अब न कम
जब मिलें
तब लग गले
सुख-दुःख बता-सुन जाइये
क्या लिखूँ?
कैसे लिखूँ?
कब कुछ लिखूँ, बतलाइये?
*

salil.sanjiv@gmail.com. 9425183244 
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