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मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

haiku, kashanika, janak chhand, soratha, sher, doha, muktak

हाइकु:
ईंट रेत का 
मंदिर मनहर 
देव लापता
क्षणिका :
*
पुज परनारी संग
श्री गणेश गोबर हुए.
रूप - रूपए का खेल,
पुजें परपुरुष साथ
पर
लांछित हुईं न लक्ष्मी
***
जनक छंद :
नोबल आया हाथ जब 
उठा गर्व से माथ तब 
आँख खोलना शेष अब
सोरठा :
घटे रमा की चाह, चाह शारदा की बढ़े 
गगन न देता छाँह, भले शीश पर जा चढ़े
***
शे'र : 
लिए हाथों में अपना सर चले पर 
नहीं मंज़िल को सर कर सके अब तक
दोहा :
तुलसी जब तुल सी गयी, नागफनी के साथ
वह अंदर यह हो गयी, बाहर विवश उदास.
मुकतक :
मेरा गीत शहीद हो गया, दिल-दरवाज़ा नहीं खुला
दुनियादारी हुई तराज़ू, प्यार न इसमें कभी तुला
राह देख पथराती अखियाँ, आस निराश-उदास हुई
किस्मत गुपचुप रही देखती, कभी न पाई विहँस बुला
***

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