क्षणिकाएँ
१. क्षितिज
.
क्षितिज
यदि हाथ आता तो
बनाते हम तवा उसको
जला सूरज का नित चूल्हा
बनाते समय की रोटी
मिटाते भूख दुनिया की,
क्षितिज
यदि हाथ आता तो
*
२. हुकुम
.
हुकुम
देना अगर होता
विधाता को हुकुम देते
मिटा दे भूख दुनिया से,
न बाकी स्वार्थ ही छोड़े.
भले पूजे न कोई भी
उसे तब,
हम तभी पूजें.
*
३.
१. क्षितिज
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क्षितिज
यदि हाथ आता तो
बनाते हम तवा उसको
जला सूरज का नित चूल्हा
बनाते समय की रोटी
मिटाते भूख दुनिया की,
क्षितिज
यदि हाथ आता तो
*
२. हुकुम
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हुकुम
देना अगर होता
विधाता को हुकुम देते
मिटा दे भूख दुनिया से,
न बाकी स्वार्थ ही छोड़े.
भले पूजे न कोई भी
उसे तब,
हम तभी पूजें.
*
३.
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