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बुधवार, 15 नवंबर 2017

manuhaar

मनुहार
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कर रहे मनुहार कर जुड़ मान भी जा
प्रिये! झट मुड़ प्रेम को पहचान भी जा
जानता हूँ चाहती तू निकट आना
फ़ेरना मुँह है सुमुखि! केवल बहाना
बाँह में दे बाँह आ गलहार बन जा
बनाकर भुजहार मुझ में तू सिमट जा
अधर पर धर अधर आ रसलीन होले
बना दे रसखान मुझको श्वास बोले
द्वैत तज अद्वैत का मिल वरण कर ले
तार दे मुझको शुभान्गी आप तर ले

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