एक कविता:
दिया
संजीव 'सलिल'
*
राजनीति क साँप
लोकतंत्र के
मेंढक को खा रहा है.
भोली-भाली जनता को
ललचा-धमका रहा है.
जब तक जनता
मूक होकर सहे जाएगी.
स्वार्थों की भैंस
लोकतंत्र का खेत चरे जाएगी..
एकता की लाठी ले
भैंस को भगाओ अब.
बहुत अँधेरा देखा
दीप एक जलाओ अब..
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salil.sanjiv@gmai.com, ७९९९५५९६१८
www.divynarmada.in, #हिंदी_ब्लॉगर
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