गले मिले दोहा यमक
.
बिल्ली जाती राह निज, वह न काटती राह
होते हैं गुमराह हम, छोड़ तर्क की थाह
.
बिल्ली जाती राह निज, वह न काटती राह
होते हैं गुमराह हम, छोड़ तर्क की थाह
.
जो जगमग-जगमग करे, उसे न सोना जान
जो जग मग का तम हरे, छिड़क उसी पर जान
जो जग मग का तम हरे, छिड़क उसी पर जान
.
किस मिस किस मिस को किया, किस बतलाए कौन?
तिल-तिल कर तिल जल रहा, बैठ अधर पर मौन
तिल-तिल कर तिल जल रहा, बैठ अधर पर मौन
.
समय सूचिका का करे, जो निर्माण-सुधार
समय न अपना वह सका, किंचित कभी सुधार
.
वह बोली आदाब पर, वह समझा आ दाब
लपक-सरकने में गए, रौंदे सुर्ख गुलाब
.
गले मिले दोहा-यमक, गले बर्फ मतभेद
इतनी देरी क्यों करी?, दोनों को है खेद
>>>
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें