बुंदेली लघु कथा
प्रभुदयाल श्रीवास्तव, छिंदवाड़ा
*
आपने आश्रम में बाबाजू अधलेटी अवस्था में विश्राम कर रये ते|भक्तन की भीड़ लगी ती और बाबाजू की जै जैकार हो रै ती| एक लुगाई बाबाजू के पांवं पे माथो धरकें गिड़गिड़ा रई ती|
"किरपा करो बाबा मोरे मोड़ा खों ठीक कर दो बाबा,ऊकी अकल ठीक कर देओ,ऊखों ग्यान दे दो,ऊखों खूब प्रसिद्धि दे दिओ और ऊखों ऐसो आसीर्बाद दे दिओ के सबके सामने मूड़ उठा जी सके||"
"किंतु बिन्ना तोरे मोड़ा खों का दुख है,कछु तकलीफ हे का?" बाबाजू ने पूंछी
"महराज ऊ सच्ची बोलत है|दिनभर सांची बोलत रेत,भुन्सारे सें रात सोउत लो सांची बोलत|झूंठी बोलई नईं पाउत| कित्तौ समझाउत सिखाउत असरई नईं परत|"
"और का दिक्कत है बेटी|"
"महराज ऊ ईमानदार सोई है,ने कौनौउं सें पैसा एँठ सके ने मुफत को माल का सके|'
"आगे बोलो बिटिया|"
जब देखो गरीबों भुखमरों की सेवा में लगो रेत|अपने हिस्सा की रोटी लो गरीबन खों दे आउत| कौनौउं दोरे सें खाली हाथ नईं जा पाउत|
केन लगत है 'अतिथि देव भव' पता नईं कौन सी भाषा बोलन लगो है|पैसा बारन सें तो भौतई घिनयात|"
" ईमें का बुराई है बाई,गरीबों की मदद तो अच्छी बात आये|'
" महराज मैं चाहुत हों के बो अमीरों में रेकें पैसा कमाबे के हुनर सीखे| महराज बो गौतम बुद्ध और महाबीर स्वामी की सोई बात करत रेत|कबऊं कबौउं गांधीजी के बारे में सोई बतकाव करत|"
"बेन तुम का चाउतीं हो?"
"मैं का बताऊं महराज,मोरी तो इच्छा है के बो खूब पैसा कमाबे,चोरी करबो सीखे और मौका परे तो बेंक लूटकें पच्चीस पचास लाख रुपैया बटोर ले आये|"
और तोरी का इच्छा है बेन अपने मौड़ा के लाने?'
मोरी इच्छा है महराज के बो अबू सलीम बन जाये, तेलगी के रस्ता पे चले, नटवर लाल जैसे आदमियन से दोस्ती करे तो महराज ऊके उद्धार हो जेहे|"
"काये तुम इन लफेंदन में परीं हो,लरकाखों काये बिगाड़ो चाहतीं हो?"
"महराज जो बिगाड़ नोईं सुधार आये ,सुधरहे नेँ तो समाज में केसें जगा बना पेहे| बिना पईसन कौ, को पूंछत,चार छै लठेत संगे रेहें तो गांव भर सलाम करहे| नेता सोई आगे पाछॆं फिरहें के भैया चुनाव में उनकी तरपे रईओ| मैं सोई बहादुर मौड़ा की मतारी बनो चाहत|
महराज जब बौ बेंक लूट कें ले आहे और जेल जेहे तो महराज मोरी छाती जुड़ा जेहे और जेल सें छूटबे पे ऊके संगी साथी जब ऊके गरे में हार डारकें ऊकी जय जयकार करहें तो मोरी छाती तो गजभर फूल जेहे |महराज जॊ गरीबों को हक ने मार सके ,लूटपाट ने कर सके छेड़छाड़ ने कर सके ऐसो मोड़ा मोये नईं चानें|'
"ठीक के रईं बिन्ना,हमाई आसीस तुमाये संगे है, जैसो चाहतीं हो तुमाओ मोड़ा ऊंसई बन जेहे|मौड़ाखों चुनाव लड़वाओ,पंची सरपंची सें सुरु करो|भगवान सूदे रये तो सब ठीक हो जेहे|"
***
www .divyanarmada.in, #हिंदी_ब्लॉगर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें