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सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

kundaliya

कुण्डलिया
पवनपुत्र की छाँव में, रहा न कोइ क्लेश
बाल न बाँका कर सके, दुश्मन नोचे केश
दुश्मन नोचे केश, पीट निज शीश अभागे
प्रभु हुंकारे, पैर शीश पर धर अरि भागे
'सलिल' चरण धो तरा, अंजनीलाल ठाँव में
रहा न कोई क्लेश, पवन पुत्र की छाँव में
*
मिनी कहे जो स्वयं को, उसे मिनी मत मान
'सलिल' मैक्सी कह उसे, खूब लिए है ज्ञान
खूब लिए है ज्ञान, मृदुल मुस्कान कनोहर
बड़भागी इंटैक, समेटे दिव्य धरोहर
ज्ञान-खान, विद्वान्, डॉक्टर शर्मा हैं गुणी
हाथ जोड़ कर ज्ञान ग्रहण, मन आप हो मिनी
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