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गुरुवार, 23 अगस्त 2018

एक रचना:
सीख लिया
डॉरूपेश जैन 'राहत"
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गले लगते दोस्त बोला क्या छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
सारा दिन फेसबुक पर रहना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी हर रोज नए पचड़े सर दर्द की नई दुकान
दिन भर पिंगों-फारवर्ड करना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
अब कहें क्या नया चलन चला है दीवाने फ़ुज़ूल वीडियो बनाने का
घडी-घडी यूट्यूब लोड करना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
सारे काम यूँही धरे रह गए बस इक फोटू का इन्तजार शामों-सहर
हमनें इंस्टाग्राम फॉलो करना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
घर बैठे न होता काम समस्या सुलझाने सड़क पे उतरना पड़ता हैं
'राहत' हमनें हैश टैग करना छोड़ दिया चैन से जीना सीख लिया
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
०८/०८/२०१८

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