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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2017

navgeet- sadak par 2

नवगीत 
सड़क पर २ 
*
जमूरा-मदारी रुआँसे
सड़क पर
.
हताशा निराशा
दुराशा का डेरा
दुख-दर्द, पीड़ा
लगाती हैं फ़ेरा
मिलें ठोकरें जब भी
मंज़िल को टेरा
घायल मवाली करें-कर
सड़क पर
.
सपने हिचकते-
अटकते, भटकते
दुत्कारें कारें
खिलौने सिसकते
सोओ न, कुचलेंगी
बच्चे बिलखते
सियासी नज़ारे
सदा दें सड़क पर
.
कटे वृक्ष रोयें
कलपते परिंदे
किसमत न बाँचें
नजूमी, न बंदे
वसन साफ़ लेकिन
हृदय खूब गन्दे
नेताई वादे धुँआसे
सड़क पर
...
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