मुक्तक
ढाले- दिल को छेदकर तीरे-नज़र जब चुभ गयी,
सांस तो चलती रही पर ज़िन्दगी ही रुक गयी।
तरकशे-अरमान में शर-हौसले भी कम न थे -
मिल गयी ज्यों ही नज़र से नज़र त्यों ही झुक गयी।।
*
***
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
#divyanarmada.blogspot.com
#हिंदी_ब्लॉगर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें