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मंगलवार, 8 अगस्त 2017

laghukatha

लघु कथा 
निर्दोष जुड़ाव का अर्थ        
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जिस सड़क से रोज ही आती-जाती थी, आज वही सड़क उसके लिए कुरुक्षेत्र का मैदान बन गयी थी। काम निबटा कट घर लौटते हुए उसे न चाहते हुए भी देर हो ही गयी थी। कार में अकेला देखकर दो गुंडों ने पीछा कर रोका लिया और अब उसे कार से उतार कर अपनी कार में बैठाना चाहते थे। कार का बंद दरवाज़ा न खोल पाने के कारण वे अपने इरादे में सफल नहीं हो सके थे।  
अचानक ८-१० स्त्री-पुरुष आये और दोनों गुंडों को पकड़ कर जमकर ठुकाई करते हुए पकड़ लिया। भयभीत प्रतिष्ठा ने राहत की साँस लेते हुए विस्मय से उनका धन्यवाद करते हुए पूछा कि घरों में उन्हें पता कैसे चला और जहां लोग परिचित की भी सहायता नहीं करते वहाँ वे एक अपरिचित की सहायता के लिए कैसे आ गए?
एक महिला ने सड़क किनारे की इमारत की बालकनी में खड़े एक बच्चे की ओर इशारा किया तो प्रतिष्ठा को याद आया एक दिन विद्यालय से लौटा वह बच्चा सड़क पर लगातार यातायात के कारण सहमा सा किनारे खड़ा था, देखते ही प्रतिष्ठा ने कार रोककर उसे सड़क पार कराकर घर तक पहुँचाया था। इधर-उधर देखते बच्चे की नज़र जैसे ही प्रतिष्ठा की कार और उन गुंडों पर पड़ी वह लपक कर अपने घर में घुसा और अपने माता-पिता से तुरंत मदद करने की जिद की और वे अपने पड़ोसियों के साथ तुरंत आ गए। आज प्रतिष्ठा ही नहीं, वे सब अनुभव कर रहे निर्दोष जुड़ाव का अर्थ। 
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