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शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

doha

दोहा मुक्तिका-
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साक्षी साक्षी दे रही, मत हो देश उदास
जीत बनाती है सदा, एक नया इतिहास
*
कर्माकर ने दिखाया, बाकी अभी उजास
हिम्मत मत हारें करें, जुटकर सतत प्रयास
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जीत-हार से हो भले, जय-जय या उपहास
खेल खिलाड़ी के लिए, हर कोशिश है खास
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खेल-भावना ही हरे, दर्शक मन की प्यास
हॉकी-शूटिंग-आर्चरी, खेलो हो बिंदास
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कहाँ जाएगी जीत यह?, कल आएगी पास
नित्य करो अभ्यास जुट, मन में लिए हुलास
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निराधार आलोचना, भूल करो अभ्यास
सुन कर कर दो अनसुना, मन में रख विश्वास
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मरुथल में भी आ सके, निश्चय ही मधुमास
आलोचक हों प्रशंसक, डिगे न यदि विश्वास
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salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
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#हिंदी_ब्लॉगर

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