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मंगलवार, 1 अगस्त 2017

kavita

आज नाग पन्चमी सुभद्रा जयन्ती
*
नाग पंचमी पर विधना ने विष हरने तुमको भेजा
साथ महादेवी ने देकर कहाः 'सौख्य मेरा लेजा'
.
'वीरों के वसंत' की गाथा, 'मर्दानी' की कथा कही
शिशुओं को घर छोड़ जेल जा, मन ही मन थीं खूब दहीं
.
तीक्ष्ण लेखनी से डरता था राज्य फिरंगी, भारत माँ
गर्व किया करती थी तुम पर, सत्याग्रह में फूँकी जां
.
वज्र सरीखे माखन दादा, कुसुम सदृश केशव का संग
रामानुज नर्मदा भवानी कवि पुंगव सुन दुनिया दंग
.
देश हुआ आजाद न तुम गुटबाजों को किन्चित भायीं
गाँधी-पथ की अनुगामिनी तुम, महलों से थीं टकरायीं
.
शुभाशीष सरदार ने दिया, जनसेवा की राह चलीं
निहित स्वार्थरत नेताओं को तनिक न भायीं खूब खलीं
.
आम आदमी की वाणी बन, दीन दुखी की हरने पीर
सत्ता को प्रेरित करने सक्रिय थीं मन में धरकर धीर
.
नियति नटी ने देख तुम्हारी कर्मठता यम को भेजा
सुरपुर में सत्याग्रहचाहा कहा- 'सुभद्रा को ले आ'
.
जनपथ पर चलनेवाली ने राजमार्ग पर प्राण तजे
भू ने अश्रु बहाये, सुरपुर में थे स्वागत द्वार सजे
.
खुद गोविन्द द्वारिका तुम पर अश्रु चढ़ाकर रोये थे
अगणित जनगण ने निज नयना, खोकर तुम्हें भिगोये थे
.
दीप प्रेरणा का अनुपम तुम, हम प्रकाश अब भी पाते
मन ही मन करते प्रणाम शत, विष पीकर भी जी जाते
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१-८-२०१६
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