ॐ
दोहा शतक
डा.हरि फ़ैज़ाबादी
जन्म: १७.७.१९६५, फ़ैज़ाबाद उ.प्र. ।
आत्मज: स्व.श्रीमती विमला देवी-स्व. श्री वीरेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव।
जीवनसंगिनी: श्रीमती अंजू श्रीवास्तव।
शिक्षा: एम.काम., बी.एड., एम.ए.(उर्दू), पीएच. डी.(उर्दू)।
लेखन विधा: गद्य एवं पद्य (ग़ज़ल,दोहा,नात,भजन,गीत,मुक्तक,मनक़बत) आदि।
प्रकाशित: मिट्टी का योगदान ग़ज़ल संग्रह, जीवन की हर बात दोहा संग्रह, मीर होने की बेक़रारी है ग़ज़ल संग्रह (उर्दू), कण-कण में हनुमान---हनुमत दोहा चालीसा, साईं का पैग़ाम (साईं दोहा चालीसा)।
सम्मान: विभिन्न संस्थाओं द्वारा दो दर्जन से अधिक सम्मान ।
संपर्क: बी १०४ /१२ निराला नगर लखनऊ २२६०२० उ.प्र. ।
चलभाष: ०९४५०४८९७८९, ईमेल: hari.faizabadi@gmail.com ।
*
आत्मज: स्व.श्रीमती विमला देवी-स्व. श्री वीरेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव।
जीवनसंगिनी: श्रीमती अंजू श्रीवास्तव।
शिक्षा: एम.काम., बी.एड., एम.ए.(उर्दू), पीएच. डी.(उर्दू)।
लेखन विधा: गद्य एवं पद्य (ग़ज़ल,दोहा,नात,भजन,गीत,मुक्तक,मनक़बत) आदि।
प्रकाशित: मिट्टी का योगदान ग़ज़ल संग्रह, जीवन की हर बात दोहा संग्रह, मीर होने की बेक़रारी है ग़ज़ल संग्रह (उर्दू), कण-कण में हनुमान---हनुमत दोहा चालीसा, साईं का पैग़ाम (साईं दोहा चालीसा)।
सम्मान: विभिन्न संस्थाओं द्वारा दो दर्जन से अधिक सम्मान ।
संपर्क: बी १०४ /१२ निराला नगर लखनऊ २२६०२० उ.प्र. ।
चलभाष: ०९४५०४८९७८९, ईमेल: hari.faizabadi@gmail.com ।
*
ॐ
दोहा शतक
हे गणपति हे गजानन, हे गणेश भगवान।
रिद्धि-सिद्धि के साथ दें, हमें अभय वरदान।।
*
द्वापर युग में इंद्र का, तोड़ा ज्यों अभिमान।
त्यों सबकी रक्षा करें, कलियुग से भगवान।।
द्वापर युग में इंद्र का, तोड़ा ज्यों अभिमान।
त्यों सबकी रक्षा करें, कलियुग से भगवान।।
*
इंद्र देव के वज्र से, हनु पर हुआ प्रहार।
कहलाए हनुमान तब, जग में पवनकुमार।।
इंद्र देव के वज्र से, हनु पर हुआ प्रहार।
कहलाए हनुमान तब, जग में पवनकुमार।।
*
कर देती नौ रात में, जीवन का उद्धार।
माँ की महिमा यूँ नहीं, गाता है संसार।।
कर देती नौ रात में, जीवन का उद्धार।
माँ की महिमा यूँ नहीं, गाता है संसार।।
*
जय हो शिव के ध्यान की, जय शंकर भगवान।
जग है शिव के ध्यान में, शिव को जग का ध्यान।।
जय हो शिव के ध्यान की, जय शंकर भगवान।
जग है शिव के ध्यान में, शिव को जग का ध्यान।।
*
लोग सफलता के लिए, करते क्या-क्या काम।
मगर सफल होता वही, जिसे चाहते राम।।
लोग सफलता के लिए, करते क्या-क्या काम।
मगर सफल होता वही, जिसे चाहते राम।।
*
देव तरसते हैं जिसे, ऐसी मानव देह।
ऐ मानव! क्यों है नहीं, तुझको इससे नेह।।
देव तरसते हैं जिसे, ऐसी मानव देह।
ऐ मानव! क्यों है नहीं, तुझको इससे नेह।।
*
ऊपरवाले ने रचा, इसको मेरे मीत।
इसीलिए सबसे मधुर, है मन का संगीत।।
ऊपरवाले ने रचा, इसको मेरे मीत।
इसीलिए सबसे मधुर, है मन का संगीत।।
*
कुत्तों की भी आदमी, जैसी ही तक़दीर।
कोई जूठन खा रहा, कोई मुर्ग़-पनीर।।
कुत्तों की भी आदमी, जैसी ही तक़दीर।
कोई जूठन खा रहा, कोई मुर्ग़-पनीर।।
*
अच्छा तो है बोलना, साफ़-साफ़ दो टूक।
लेकिन ऐसा हर जगह, अच्छा नहीं सुलूक।।
अच्छा तो है बोलना, साफ़-साफ़ दो टूक।
लेकिन ऐसा हर जगह, अच्छा नहीं सुलूक।।
*
निष्क्रिय होकर मत करें, जीवन को बेरंग।
पड़े-पड़े तो लौह भी, खा जाता है ज़ंग।।
निष्क्रिय होकर मत करें, जीवन को बेरंग।
पड़े-पड़े तो लौह भी, खा जाता है ज़ंग।।
*
अपनी नेकी की रखें, ऐसी भी कुछ राह।
जिनका हो संसार में, केवल ख़ुदा गवाह।।
अपनी नेकी की रखें, ऐसी भी कुछ राह।
जिनका हो संसार में, केवल ख़ुदा गवाह।।
*
साथ किताबी ज्ञान के, जो दे जीवन-ज्ञान।
शिक्षक वही प्रणम्य है, जिसके शिष्य महान।।
साथ किताबी ज्ञान के, जो दे जीवन-ज्ञान।
शिक्षक वही प्रणम्य है, जिसके शिष्य महान।।
*
हाथी-विषधर-शेर से, पा लेता जो पार।
अपने ही दिल से वही, मानव जाता हार।।
हाथी-विषधर-शेर से, पा लेता जो पार।
अपने ही दिल से वही, मानव जाता हार।।
*
इच्छा और लगाव से,थकता है इंसान।
वरना ये हर जीव से,होता है बलवान।।
इच्छा और लगाव से,थकता है इंसान।
वरना ये हर जीव से,होता है बलवान।।
*
मानव का सबसे बड़ा, दुश्मन है अभिमान।
अंतर रावण-राम का, इसकी है पहचान।।
मानव का सबसे बड़ा, दुश्मन है अभिमान।
अंतर रावण-राम का, इसकी है पहचान।।
*
तुम्हें एक त्रुटि बताता, शेष लोग हैं मौन।
शुभचिंतक सोचो तुम्हीं, यहाँ तुम्हारा कौन।।
तुम्हें एक त्रुटि बताता, शेष लोग हैं मौन।
शुभचिंतक सोचो तुम्हीं, यहाँ तुम्हारा कौन।।
*
हम दोनोंं में बढ़ रही, रोज़ बहस-तकरार।
इसका मतलब रास्ते, पर है अपना प्यार।।
हम दोनोंं में बढ़ रही, रोज़ बहस-तकरार।
इसका मतलब रास्ते, पर है अपना प्यार।।
*
अपने मन में जो तुम्हें, मिले नहीं भगवान।
फिर वो मिल सकते नहीं, ढूँढो सकल जहान।।
अपने मन में जो तुम्हें, मिले नहीं भगवान।
फिर वो मिल सकते नहीं, ढूँढो सकल जहान।।
*
भूल-चूक, ग़लती-क्षमा, आपस में तकरार।
इन सब बातों के बिना, कैसा रिश्ता-प्यार।।
भूल-चूक, ग़लती-क्षमा, आपस में तकरार।
इन सब बातों के बिना, कैसा रिश्ता-प्यार।।
*
गायत्री-गीता-गऊ, गुरु का करिए मान।
जीवन होगा आपका, अपनेआप महान।।
जीवन होगा आपका, अपनेआप महान।।
*
नदियाँ अपनी राह में, कितना करें कटाव।
मगर दिशा में वो नहीं, करती हैं बदलाव।।
नदियाँ अपनी राह में, कितना करें कटाव।
मगर दिशा में वो नहीं, करती हैं बदलाव।।
*
लड़ते हैं जिनके लिए, हम मानव नादान।
कभी सुना है, हों लड़े, ख़ुदा और भगवान।।
लड़ते हैं जिनके लिए, हम मानव नादान।
कभी सुना है, हों लड़े, ख़ुदा और भगवान।।
*
अपनों से ही रूठने, लड़ने का अधिकार।
ग़ैरों से कैसा गिला, क्या झगड़ा-तकरार।।
अपनों से ही रूठने, लड़ने का अधिकार।
ग़ैरों से कैसा गिला, क्या झगड़ा-तकरार।।
*
होता वो सबसे अधिक, पावरफ़ुल इंसान।
अपनी पावर की जिसे, होती है पहचान।।
होता वो सबसे अधिक, पावरफ़ुल इंसान।
अपनी पावर की जिसे, होती है पहचान।।
*
जीना पड़ता है उसे, जननी का किरदार।
यूँ ही हो जाता नहींं, कोई रचनाकार।।
जीना पड़ता है उसे, जननी का किरदार।
यूँ ही हो जाता नहींं, कोई रचनाकार।।
*
आख़िर चमके किस तरह, मेरा हिंदुस्तान।
यहाँ सफ़ाई भी नहीं, होती बिन अभियान।।
आख़िर चमके किस तरह, मेरा हिंदुस्तान।
यहाँ सफ़ाई भी नहीं, होती बिन अभियान।।
*
अपने पर कुछ भूलकर, करना नहीं गुमान।
जीवन में जो हो रहा, सब है ईश-विधान।।
अपने पर कुछ भूलकर, करना नहीं गुमान।
जीवन में जो हो रहा, सब है ईश-विधान।।
*
मीठा सुनना ही नहीं, है उसकी तक़दीर।
जिसकी बोली को नहीं, मिली मधुर तासीर।।
मीठा सुनना ही नहीं, है उसकी तक़दीर।
जिसकी बोली को नहीं, मिली मधुर तासीर।।
*
निर्धन होना पाप है, ठीक कह रहे आप।
मरना भी निर्धन मगर, इससे बढ़कर पाप।।
निर्धन होना पाप है, ठीक कह रहे आप।
मरना भी निर्धन मगर, इससे बढ़कर पाप।।
*
रिश्ता यूँ होता नहीं, कोई अमर-बुलंद।
गुल मरते हैं तब कहीं, बनता है गुलकंद।।
रिश्ता यूँ होता नहीं, कोई अमर-बुलंद।
गुल मरते हैं तब कहीं, बनता है गुलकंद।।
*
उसके जीवन को पढ़ो, देखो बिंब अनूप।
हर नारी में हैं छुपे, दुर्गा के नौ रूप।।
उसके जीवन को पढ़ो, देखो बिंब अनूप।
हर नारी में हैं छुपे, दुर्गा के नौ रूप।।
*
एक-दूसरे से रहें, कितने हम नाराज़।
ध्यान रहे जाए नहीं, और कहीं ये राज़।।
एक-दूसरे से रहें, कितने हम नाराज़।
ध्यान रहे जाए नहीं, और कहीं ये राज़।।
*
अच्छे लोगों के मधुर, कटु भी समझो बोल।
मोती कचरे में गिरे,फिर भी है अनमोल।।
अच्छे लोगों के मधुर, कटु भी समझो बोल।
मोती कचरे में गिरे,फिर भी है अनमोल।।
*
दिलवाते हैं कर्म ही, हमें दंड-सम्मान।
जीवन में इस बात का, हरदम रखिए ध्यान।।
दिलवाते हैं कर्म ही, हमें दंड-सम्मान।
जीवन में इस बात का, हरदम रखिए ध्यान।।
*
लंकापति को खा गया, ख़ुद उसका अभिमान।
वरना रावण की नहीं, जा सकती थी जान।।
लंकापति को खा गया, ख़ुद उसका अभिमान।
वरना रावण की नहीं, जा सकती थी जान।।
*
रूप-बुद्धि सबको अलग, देते हैं करतार।
कैसे होगा सोचिए, सबका एक विचार।।
रूप-बुद्धि सबको अलग, देते हैं करतार।
कैसे होगा सोचिए, सबका एक विचार।।
*
जीवन में हरगिज़ नहीं, छोड़ें उनका हाथ।
बुरे दिनों में आपका, दिया जिन्होंने साथ।।
जीवन में हरगिज़ नहीं, छोड़ें उनका हाथ।
बुरे दिनों में आपका, दिया जिन्होंने साथ।।
*
उनके ऊपर प्रभु कृपा, समझो बड़ी असीम।
जिन गाँवों में आज भी, पीपल-बरगद-नीम।।
*
चाहे जितनी कोशिशें, कितना करें प्रयास।
फिर मिलना बचपन नहीं, या टूटा विश्वास।।
उनके ऊपर प्रभु कृपा, समझो बड़ी असीम।
जिन गाँवों में आज भी, पीपल-बरगद-नीम।।
*
चाहे जितनी कोशिशें, कितना करें प्रयास।
फिर मिलना बचपन नहीं, या टूटा विश्वास।।
*
भले ख़ूबियों पर नहीं, तेरी करे विचार।
बख़्श नहीं सकता तुझे, ग़लती पर संसार।।
भले ख़ूबियों पर नहीं, तेरी करे विचार।
बख़्श नहीं सकता तुझे, ग़लती पर संसार।।
*
शुभ कामों का फल सदा, शुभ ही हो श्रीमान।
व्यर्थ कभी जाता नहीं, प्रभु सुमिरन या दान।।
शुभ कामों का फल सदा, शुभ ही हो श्रीमान।
व्यर्थ कभी जाता नहीं, प्रभु सुमिरन या दान।।
*
मिसरी हो या फिटकरी, दोनों एक समान।
बाहर से अच्छा नहीं, अंदर का अनुमान।।
मिसरी हो या फिटकरी, दोनों एक समान।
बाहर से अच्छा नहीं, अंदर का अनुमान।।
*
शकुनि-मंथरा भी यहाँ, होते बिल्कुल फ़ेल।
भारत में जो चल रहा, राजनीति का खेल।।
भारत में जो चल रहा, राजनीति का खेल।।
*
अगर नाम की चाह है, तो करिए कुछ काम।
दुनिया में किसको मिला, बिना काम का नाम।।
अगर नाम की चाह है, तो करिए कुछ काम।
दुनिया में किसको मिला, बिना काम का नाम।।
*
सर पर जो मँडरा रहा, नहीं दिख रहा काल।
बाक़ी है इंसान को, सब कुछ यहाँ ख़याल।।
सर पर जो मँडरा रहा, नहीं दिख रहा काल।
बाक़ी है इंसान को, सब कुछ यहाँ ख़याल।।
*
सच्चे हो तो कुछ नहीं, देना कहीं जवाब।
दुनिया के आरोप से, कितना लगे ख़राब।।
दुनिया के आरोप से, कितना लगे ख़राब।।
*
पक्ष रखो अपना तभी, होगा बेड़ा पार।
मौन रहे तो और भी, दुख देगा संसार।।
मौन रहे तो और भी, दुख देगा संसार।।
*
दुनिया में हर बात का, होता है कुछ अर्थ।
उचित कहीं पर मौन है, कहीं बोलना व्यर्थ।।
दुनिया में हर बात का, होता है कुछ अर्थ।
उचित कहीं पर मौन है, कहीं बोलना व्यर्थ।।
*
'हे माँ' जैसे कष्ट में, बोलें अपने आप।
हैरत में हम बोलते, 'अरे बाप रे बाप'।।
'हे माँ' जैसे कष्ट में, बोलें अपने आप।
हैरत में हम बोलते, 'अरे बाप रे बाप'।।
*
आज नहीं तो क्या हुआ, कल निखरेगा चित्र।
छोड़ो मत उम्मीद का, दामन मेरे मित्र।।
आज नहीं तो क्या हुआ, कल निखरेगा चित्र।
छोड़ो मत उम्मीद का, दामन मेरे मित्र।।
*
पैसे से पहले करें, लोगों का सम्मान।
चार लोग ही आपको, छोड़ेंगे शमशान।।
पैसे से पहले करें, लोगों का सम्मान।
चार लोग ही आपको, छोड़ेंगे शमशान।।
*
कभी किसी पर भी नहीं, क़ायम करिए राय।
कार और घर देखकर, या फिर उसकी आय।।
कभी किसी पर भी नहीं, क़ायम करिए राय।
कार और घर देखकर, या फिर उसकी आय।।
*
दिल पर ली जाती नहीं, उन लोगों की बात।
जिनकी यादों से सजी, है दिल की बारात।।
दिल पर ली जाती नहीं, उन लोगों की बात।
जिनकी यादों से सजी, है दिल की बारात।।
*
घर पावन जैसे नहीं, है बिन तुलसी मित्र।
ये शरीर होता नहीं, बिन हरि भजन पवित्र।।
घर पावन जैसे नहीं, है बिन तुलसी मित्र।
ये शरीर होता नहीं, बिन हरि भजन पवित्र।।
*
बोल न सकने के सबब, पशु होते हैरान।
हद से बाहर बोलकर, दुख सहता इंसान।।
बोल न सकने के सबब, पशु होते हैरान।
हद से बाहर बोलकर, दुख सहता इंसान।।
*
वादे-शर्तों से नहीं, निभते हैं संबंध।
दिल-दिल मिलने से टिके, रिश्तों का अनुबंध।।
वादे-शर्तों से नहीं, निभते हैं संबंध।
दिल-दिल मिलने से टिके, रिश्तों का अनुबंध।।
*
आत्मज्ञान का ख़ुद-ब-ख़ुद, हासिल होगा गोल।
अनुशासित यदि ज़िंदगी, मन पर है कंट्रोल।।
आत्मज्ञान का ख़ुद-ब-ख़ुद, हासिल होगा गोल।
अनुशासित यदि ज़िंदगी, मन पर है कंट्रोल।।
*
पुनर्जन्म पर हर बहस, और तर्क है व्यर्थ।
जन्म-मृत्यु का जब तलक, पता नहीं है अर्थ।।
पुनर्जन्म पर हर बहस, और तर्क है व्यर्थ।
जन्म-मृत्यु का जब तलक, पता नहीं है अर्थ।।
*
महका दे माहौल जो, होता है वो इत्र।
जिससे महके ज़िंदगी, उसको कहते मित्र।।
महका दे माहौल जो, होता है वो इत्र।
जिससे महके ज़िंदगी, उसको कहते मित्र।।
*
दर्पण की उसके लिए, आख़िर क्या दरकार।
जिसे दिया हो ईश ने, दिल का सच्चा यार।।
दर्पण की उसके लिए, आख़िर क्या दरकार।
जिसे दिया हो ईश ने, दिल का सच्चा यार।।
*
धन्यवाद उसका करें, तोड़े जो विश्वास।
खोली उसने आँख भी, दिल यदि किया उदास।।
धन्यवाद उसका करें, तोड़े जो विश्वास।
खोली उसने आँख भी, दिल यदि किया उदास।।
*
मर्यादा इंसान की, खा जाती ज्यों भूख।
त्यों दिल की इंसानियत, धन में जाती सूख।।
त्यों दिल की इंसानियत, धन में जाती सूख।।
*
माना सब कटने नहीं, पूर्वजन्म के पाप।
लेकिन जितनी हो सके,कोशिश करिए आप।।
माना सब कटने नहीं, पूर्वजन्म के पाप।
लेकिन जितनी हो सके,कोशिश करिए आप।।
*
चमक नहीं सकता किसी, फ़ेसवाश से फ़ेस।
अगर आपका मन मलिन,स्वच्छ नहीं है बेस।।
चमक नहीं सकता किसी, फ़ेसवाश से फ़ेस।
अगर आपका मन मलिन,स्वच्छ नहीं है बेस।।
*
रिश्तों में कुछ मित्र ही, मिलते देवसमान।
बाक़ी होते आदमी, या फिर कुछ इंसान।।
रिश्तों में कुछ मित्र ही, मिलते देवसमान।
बाक़ी होते आदमी, या फिर कुछ इंसान।।
*
सोच-समझकर ही करें, जीवन में हर बात।
जीवन में नुक़सान ही, करते हैं जज़्बात।।
*
फ़िल्मी दुनिया की तरह, अब सारा संसार।
आप सफल तो आपका, हर कोई है यार।।
सोच-समझकर ही करें, जीवन में हर बात।
जीवन में नुक़सान ही, करते हैं जज़्बात।।
*
फ़िल्मी दुनिया की तरह, अब सारा संसार।
आप सफल तो आपका, हर कोई है यार।।
*
चलकर ख़ुद ही आपके, आएँगे प्रभु पास।
मन में यदि प्रह्लाद या, शबरी सा विश्वास।।
चलकर ख़ुद ही आपके, आएँगे प्रभु पास।
मन में यदि प्रह्लाद या, शबरी सा विश्वास।।
*
रक्षा मेरे मित्र की, करना ऐ भगवान।
गड्ढे को भी मानता, वो समतल मैदान।।
रक्षा मेरे मित्र की, करना ऐ भगवान।
गड्ढे को भी मानता, वो समतल मैदान।।
*
अपने जैसा ही मुझे, लगता हर इंसान।
बड़ी कठिन मेरे लिए, दुनिया की पहचान।।
अपने जैसा ही मुझे, लगता हर इंसान।
बड़ी कठिन मेरे लिए, दुनिया की पहचान।।
*
हरदम ख़ाली पेट जो,रहता है दिन-रात।
कर पाए वो किस तरह, कोई पूरी बात।।
हरदम ख़ाली पेट जो,रहता है दिन-रात।
कर पाए वो किस तरह, कोई पूरी बात।।
*
जिन लोगों को भी लगा, जग में "मैं का रोग।
बिल्कुल रावण की तरह, नष्ट हुए वो लोग।।
जिन लोगों को भी लगा, जग में "मैं का रोग।
बिल्कुल रावण की तरह, नष्ट हुए वो लोग।।
*
रामचन्द्र को राज की, जगह मिला वनवास।
नामुमकिन है वक़्त की, करवट का आभास।
रामचन्द्र को राज की, जगह मिला वनवास।
नामुमकिन है वक़्त की, करवट का आभास।
*
बदल चुके हैं प्यार के, आज सभी आधार।
मैं नाहक़ ही ढो रहा, पहले वाला प्यार।।
*
ऊपरवाला किस तरह, करता मालामाल।
करके देखें तो सही, अपना हृदय विशाल।।
बदल चुके हैं प्यार के, आज सभी आधार।
मैं नाहक़ ही ढो रहा, पहले वाला प्यार।।
*
ऊपरवाला किस तरह, करता मालामाल।
करके देखें तो सही, अपना हृदय विशाल।।
*
बहुत भरोसे आज तक, टूटे कई क़रार।
लेकिन आदत है वही, करना सबसे प्यार।।
बहुत भरोसे आज तक, टूटे कई क़रार।
लेकिन आदत है वही, करना सबसे प्यार।।
*
माफ़ उसे मत कीजिए, जिसके दिल में खोट।
जिसका मक़सद आपके, दिल पर करना चोट।।
माफ़ उसे मत कीजिए, जिसके दिल में खोट।
जिसका मक़सद आपके, दिल पर करना चोट।।
*
मन तो सबके पास है, इसमें क्या है ख़ास।
ख़ास बात है आपके, रहे मनोबल पास।।
मन तो सबके पास है, इसमें क्या है ख़ास।
ख़ास बात है आपके, रहे मनोबल पास।।
*
मानव के मन में बना, शायद कोई छिद्र।
कितना भी मिलता इसे, रहता सदा दरिद्र।।
मानव के मन में बना, शायद कोई छिद्र।
कितना भी मिलता इसे, रहता सदा दरिद्र।।
*
रिश्तों के संसार में, जैसै फूल-सुगंध।
होता है बिल्कुल वही, पति-पत्नी संबंध।।
रिश्तों के संसार में, जैसै फूल-सुगंध।
होता है बिल्कुल वही, पति-पत्नी संबंध।।
*
चलिए ढूँढें हम उसे, है वो किसके पास।
आपस में तो है नहीं, आपस का विश्वास।।
चलिए ढूँढें हम उसे, है वो किसके पास।
आपस में तो है नहीं, आपस का विश्वास।।
*
मछली से होती बड़ी, कछुए की तक़दीर।
जल-धरती दोनों जगह, है उसकी जागीर।।
मछली से होती बड़ी, कछुए की तक़दीर।
जल-धरती दोनों जगह, है उसकी जागीर।।
*
सच्चाई का देखते, झूठे आज हिसाब।
इससे बढ़कर और क्या, होगा वक़्त ख़राब।।
सच्चाई का देखते, झूठे आज हिसाब।
इससे बढ़कर और क्या, होगा वक़्त ख़राब।।
*
जैसे तन की पीर का, हल्दी करे निदान।
दर्द दूर मन का करे, वैसे ही मुस्कान।।
जैसे तन की पीर का, हल्दी करे निदान।
दर्द दूर मन का करे, वैसे ही मुस्कान।।
*
सरल इस क़दर भी रखो, मत अपना व्यक्तित्व।
ख़तरे में जो डाल दे, मान और अस्तित्व।।
सरल इस क़दर भी रखो, मत अपना व्यक्तित्व।
ख़तरे में जो डाल दे, मान और अस्तित्व।।
*
आत्मसात हर बात जो, कर ले हर हालात।
सच्चा योगी है वही, जिसमें है यह बात।।
आत्मसात हर बात जो, कर ले हर हालात।
सच्चा योगी है वही, जिसमें है यह बात।।
*
पतझड़ के बिन पेड़ पर, आती नहीं बहार।
जीवन बिन संघर्ष के, कैसे हो गुलज़ार।।
पतझड़ के बिन पेड़ पर, आती नहीं बहार।
जीवन बिन संघर्ष के, कैसे हो गुलज़ार।।
*
सरल-भला भी आजकल, होना एक गुनाह।
बहुत बुरे हालात हैं, ख़ैर करे अल्लाह।।
सरल-भला भी आजकल, होना एक गुनाह।
बहुत बुरे हालात हैं, ख़ैर करे अल्लाह।।
*
चलो मोहब्बत का रचें, हम ऐसा संसार।
मँहगाई जैसा घटे, कभी न अपना प्यार।।
चलो मोहब्बत का रचें, हम ऐसा संसार।
मँहगाई जैसा घटे, कभी न अपना प्यार।।
***
औरों को ख़ुश देख जो, ख़ुश होते इंसान।
उसे दुखी होने नहीं, देते हैं भगवान।।
औरों को ख़ुश देख जो, ख़ुश होते इंसान।
उसे दुखी होने नहीं, देते हैं भगवान।।
*
चैन-सुकूं की बात अब, करना है बेकार।
पहले जैसा अब कहाँ, है जीवन-संसार।।
चैन-सुकूं की बात अब, करना है बेकार।
पहले जैसा अब कहाँ, है जीवन-संसार।।
*
हिचकोले हों राह में, कितने रहें तनाव।
डूब नहीं सकती मगर, कभी सत्य की नाव।।
हिचकोले हों राह में, कितने रहें तनाव।
डूब नहीं सकती मगर, कभी सत्य की नाव।।
*
जग में चुभने के लिए, काँटे हैं बदनाम।
इस धोखे में फूल भी, कर जाते यह काम।।
जग में चुभने के लिए, काँटे हैं बदनाम।
इस धोखे में फूल भी, कर जाते यह काम।।
*
दवा और उसके लिए, दुआ हुई बेकार।
जो भी इस संसार में, "मैं" का हुआ शिकार।।
जो भी इस संसार में, "मैं" का हुआ शिकार।।
*
उठे अगर तो देव हो, गिरने पर हैवान।
हे प्रभु! तूने भी अजब, जीव रचा इंसान।।
उठे अगर तो देव हो, गिरने पर हैवान।
हे प्रभु! तूने भी अजब, जीव रचा इंसान।।
*
पत्थर रखकर पेट पर, जीना है आसान।
अच्छा लगता है किसे, वरना सर पर भार।।
पत्थर रखकर पेट पर, जीना है आसान।
अच्छा लगता है किसे, वरना सर पर भार।।
*
धर्म नहीं अंधा यक़ीं, केवल है बकवास।
बिन समझे कुछ मानना, सिर्फ़ अंधविश्वास।।
धर्म नहीं अंधा यक़ीं, केवल है बकवास।
बिन समझे कुछ मानना, सिर्फ़ अंधविश्वास।।
*
उदाहरण देना कहीं, है बेहद आसान।
उदाहरण तुम ख़ुद बनो, तो है काम महान।
उदाहरण देना कहीं, है बेहद आसान।
उदाहरण तुम ख़ुद बनो, तो है काम महान।
*
ख़ामोशी का कम नहीं, अपना रुतबा मित्र।
लोग समझ पाते नहीं, बेशक इसका चित्र।।
लोग समझ पाते नहीं, बेशक इसका चित्र।।
*
उलझी बातें भी मधुर,हो सकती हैं मित्र।
जलेबियाँ इस बात का,प्रस्तुत करतीं चित्र।।१०१
जलेबियाँ इस बात का,प्रस्तुत करतीं चित्र।।१०१
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें