चित्र अलंकार: गुम्बद
ॐ
कल्पना
धोखा नहीं है,
इसे सच भी मत कहो।
तर्क का आधार समुचित
दो निकट सच के रहो।
हो सके परिकल्पना
साकार सम्मुख
करो कोशिश,
सुख मिले।
राह में बाधाएँ अनगिन, मिलीं तज शिकवे-गिले।
बढ़ो आगे
चढ़ो सीढ़ी
याद तेरी
करे पीढ़ी
बीज बोना
सींच पानी
धरा होगी
तभी धानी
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===== salilsanjiv@gmail.com,. ७९९९५५९६१८ =====
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ॐ
कल्पना
धोखा नहीं है,
इसे सच भी मत कहो।
तर्क का आधार समुचित
दो निकट सच के रहो।
हो सके परिकल्पना
साकार सम्मुख
करो कोशिश,
सुख मिले।
राह में बाधाएँ अनगिन, मिलीं तज शिकवे-गिले।
बढ़ो आगे
चढ़ो सीढ़ी
याद तेरी
करे पीढ़ी
बीज बोना
सींच पानी
धरा होगी
तभी धानी
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