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रविवार, 18 मार्च 2018

गीत: नदी

गीत:
नदी मर रही है 

नदी नीरधारी, नदी जीवधारी, 
नदी मौन सहती उपेक्षा हमारी 
नदी पेड़-पौधे, नदी जिंदगी है- 
नदी माँ हमारी, भुलाया है हमने  
नदी ही मनुज का 
सदा घर रही है। 
नदी मर रही है 

नदी वीर-दानी, नदी चीर-धानी 
नदी ही पिलाती बिना मोल पानी, 
नदी रौद्र-तनया, नदी शिव-सुता है- 
नदी सर-सरोवर नहीं दीन, मानी 
नदी निज सुतों पर सदय, डर रही है 
नदी मर रही है 

नदी है तो जल है, जल है तो कल है 
नदी में नहाता जो वो बेअकल है 
नदी में जहर घोलती देव-प्रतिमा 
नदी में बहाता मनुज मैल-मल है 
नदी अब सलिल का नहीं घर रही है 
नदी मर रही है 

नदी खोद गहरी, नदी को बचाओ 
नदी के किनारे सघन वन लगाओ 
नदी को नदी से मिला जल बचाओ 
नदी का न पानी निरर्थक बहाओ 
नदी ही नहीं, यह सदी मर रही है 
नदी मर रही है 
नदी भावना की, बहे हर-हराकर  
नदी कामना की, सुखद हो दुआ कर 
नदी वासना की, बदल राह, गुम हो   
नदी कोशिशों की, हँसें हम नहाकर 
नदी देश की, विश्व बन फल रही है 
नदी मर रही है 
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१२.३.२०१८

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