ॐ
दोहा सलिला
महल बनाते हो गया, हाय! कब्र से प्यार।
ताजमहल का हो गया, सपने में दीदार।।
*
टकरा, झुक, उठ, मिल, बसीं, आँखें होकर चार।
कहतें थीं इंकार पर, कर बैठीं इकरार।।
*
अभिनेत्री के निधन पर, मना रहे हैं शोक।
वीर शहीदों की खबर, सुन करते हैं जोक।।
दोहा सलिला
महल बनाते हो गया, हाय! कब्र से प्यार।
ताजमहल का हो गया, सपने में दीदार।।
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टकरा, झुक, उठ, मिल, बसीं, आँखें होकर चार।
कहतें थीं इंकार पर, कर बैठीं इकरार।।
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अभिनेत्री के निधन पर, मना रहे हैं शोक।
वीर शहीदों की खबर, सुन करते हैं जोक।।
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