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शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

पर्यावरण: दुनिया के लिए खतरा है एंटार्कटिक बोटम वाटर का गायब होते जाना? -वीरेंद्र शर्मा 'वीरुभाई'

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एंटार्कटिका के गिर्द दक्षिणी सागर में आश्चर्यजनक तौर पर जो गहराई पर बेहद ठंडा पानी बहता है गत चंद दशकों में उसके गायब होने की रफ़्तार कुछ ज्यादा ही रही है. इस जलराशि को 'एंटार्कटिक बोटम वाटर' कहा जाता है. इसके यूं बेतहाशा रफ़्तार विलुप्त होते चले जाने से साइंसदां हतप्रभ हैं.
एंटार्कटिका के गिर्द खुछ ख़ास क्षेत्रों में ही यह राशि बनती है. दरअसल सतह के ऊपर बहती ठंडी हवा इस जल का शीतलीकरण करती रहती है. जब यह हिमराशि में तब्दील हो जाता है इसकी नमकीनियत बढ़ जाती है. यह सतह से नीचे चला आता है भारी होकर. खारा नमकीन जल अपेक्षाकृत भारी होने की वजह से नीचे चला आता रहा है. जब पानी में से हवा ठंडक निकाल देती है तब हिमराशि बनती है तथा आसपास के बिना ज़मे जल के हवाले यह साल्ट हो जाती है. एक कुदरती चक्र के तहत यह सिलसिला चलता रहता है अपनी  रफ़्तार से.
समुन्दर में गहरे पैठा यह अपेक्षाकृत भारी जल उत्तर की तरफ प्रसार करता रहता है, इस प्रकार दुनिया भर के गहरे समुन्दरों को लबालब रखता चलता है और धीरे धीरे अपने ऊपर की अपेक्षाकृत गुनगुनी परतों वाली जल राशि से संयुक्त होता रहता है. उसमे रिलमिल जाता रहा है आहिस्ता आहिस्ता.
गौर   तलब  है दुनिया भर के सागरों  में मौजूद  डीप  ओशन  करेंट्स अन्दर-अन्दर  प्रवाहमान गहरी जल धाराएं आलमी ताप (तापमानों) और कार्बन के परिवहन में एहम  भूमिका  निभाती  आईं  हैं. बतला दें आपको हमारे समुन्दर कार्बन के सबसे बड़े सिंक हैं. पृथ्वी की जलवायु  इन्हीं  के हाथों  विनियमित होती आई है.
पूर्व के अध्ययनों से विदित हुआ था यह गहरे बहती जल धाराएं इनमे मौजूद विशाल जल राशि गरमाने लगी है, साथ ही अपनी नमकीनियत भी खोती रही है. लेकिन हालिया अध्ययन इसके तेज़ी से मात्रात्नक रूप से कम होने की इत्तला दे रहा है. निश्‍चय ही यह भूमंडलीय जलवायु के लिए यह अच्छी खबर नहीं है .

आभार: साइंस ब्लोगेर्स असोसिएशन ओफ इंडिया 

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