कविता::
'बारिश '
शिशिर साराभाई
बारिश आती है, तो कितनी यादें साथ लाती हैसौंधी खुशबू के साथ, कभी अमराई साथ आती हैकभी फूलों से भरे घर के बगीचे की याद आती हैकभी तेरे-मेंरे बीच की प्यारी बात गुनगुनाती हैबारिश आती है, तो कितनी यादें साथ लाती है
कभी माँ की आवाज़ दूर से आती सुनाई पडती हैकभी बूढ़े बाबा की मीठी पुकार लहरा उठती हैकभी बहन की शहद सी हँसी खनखना उठती हैकभी छोटू की याद में आँखें भीग उठती हैबारिश आती है,तो कितनी यादें साथ लाती है
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Shishir Sarabhai <shishirsarabhai@yahoo.com>
5 टिप्पणियां:
sn Sharma
प्रिय शिशिर जी,
रचना रुचिकर है , बधाई |
बारिश आती है तो यादों की बारात लाती है
अतीत के चित्रों की सौगात साथ लाती है |
कमल
- kiran5690472@yahoo.co.in
आ. शिशिर जी..
बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने!
बारिश जैसे विषय पर सामान्यतः प्रेमी/ प्रेमिका को याद किया जाता है.. लेकिन आप की कविता में घर के हर अभिन्न सदस्य को याद किया गया है जो मुझे बहुत ही अनूठा लगा !
अनेक सुभकामनाएँ !
Pranava Bharti ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आ. शिशिर जी
संबंधों की डोर रहे हाथ में,
स्मृतियाँ चलें साथ में........
बारिश आती है
तन-मन भिगो जाती है|
दूर कहीं जुगनुओं की बारात
मुझमें समो जाती है|
नन्ही सी हथेली पर
समेटने को बूँदें
भागना माँ से छिप छिपकर
और फिर खाना डांट
'बीमार पड़ जाना,
न पढने का मिल जायेगा बहाना|'
बिसुरते मुंह से देखना
द्वार का बंद होना
और फिर मौका पाने
की तलाश में
कर लेना आँखें बंद
जुगनुओं का सिमट जाना
आँखों में,
न जाने कब
चमक भर आँखों में
सो जाना
सुबह सब भूलकर चिपट जाना
'तुम कितनी अच्छी हो....!'
और माँ की आँखों में सावन भर जाना
ऐसा होता था
बारिश का आना
और जाना.............|
प्रणव भारती
बारिश के साथ कितनी ही स्मृतियों के बादल भी बरस जाते हैं ...सुंदर अभिव्यक्ति
कोमल भाव लिए प्यारी सी रचना...
:-)
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