बिजली बचाने के कुछ टिप्स
By .. विवेक रंजन श्रीवास्तव
अतिरिक्त अधीक्षण इंजीनियर
जबलपुर
blog http://nomorepowertheft.blogspot.com
1 घर के रंग का कमाल
गर्मी आने को है , इस बार घर की दीवारों व सीलिंग की पुताई के साथ ही घर की छत का फर्श भी जरूर पुतवायें .हो सके तो छत पर सफेद ग्लेज्ड टाइल्स लगवा दें. बाहर की दीवारों पर सफेद , हल्का आसमानी या लाइट येलो कलर करवायें , आप पायेंगे कि ए.सी., कूलर व फैन की जरूरत कम पड़ रही है, घर के तापमान में २ से ३ डिग्री की निश्चित कमी परिलक्षित होगी . भीतर का रंग संयोजन भी हल्का रखें .दिन में तो कमरों की खिड़कियाँ खुली रखने पर नैसर्गिक प्रकाश से ही काम चल जायेगा , रात में भी सी एफ एल की रोशनी पर्याप्त होगी .
2 खेलें बिजली बचत का खेल
आपके घर में कितने सदस्य हैं ?...
सप्ताह के प्रत्येक दिन , किसी न किसी सदस्य को बिजली बचाने की जबाबदारी सौंप दें . सुबह ८.०० बजे मीटर की रीडिंग ले कर लिख लीजीये . अब उस दिन जिस सदस्य की बारी है , उसकी जबाबदारी है कि अगले २४ घंटो में कम से कम बिजली जले . पूरे सप्ताह में जिस भी सदस्य की जबाबदारी में सबसे कम यूनिट खपत होगी , उसे पुरस्कृत किया जावेगा , और जिस सदस्य की जिम्मेदारी के दिन सबसे ज्यादा बिजली जलेगी , पैनाल्टी के रूप में उसे परिवार के सभी सदस्यो को सप्ताहांत में ट्रीट देनी पड़ेगी .आप देखेंगे कि इस युक्ति से बचचे व्यर्थ जलते बिजली के उपकरण तुरंत बंद करने हेतु लगातार प्रयत्नशील रहेंगे . धीरे धीरे उनमें बिजली बचत के संस्कार पड़ जायेंगे . निश्चित ही बिजली बिल में आशातीत कमी आयेगी . आपकी श्रीमती जी अपनी बारी आने पर घर के सारे के सारे बल्ब बदल कर सी एफ एल लगवा देंगी . आप अपनी बारी आने पर आई एस आई मार्क उपकरणों से , दिल्ली मेड पुराने उपकरण बदल देंगे . कुल मिलाकर बिजली बचत पर विशद चर्चा ,व उर्जा बचत का समग्र वातावरण बनेगा , जो आपके व समाज के लिये दीर्घगामी रूप से हितकारी ही होगा .
3 इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की भूमिका निभायें
इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर की भूमिका निभायें , जरा पूरे घर की बिजली फिटिंग , उपकरणों पर सूक्ष्म नजर डालें . कुछ स्विच , प्लग, होल्डर खराब हो चुके होंगे , कई तारों में जोड़ , कट होंगे , जिन्हें बदलना , सुधारना , कसना जरूरी होगा .स्विच चालू या बंद करते समय स्पार्किंग होना ठीक नहीं है . झूलते तारो का गुच्छा , लूज फिटिंग , बिना पिन प्लग के साकेट में खोंसे गये सीधे तार कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं . नंगे तार, टूटे विद्युत उपकरणो के काम चलाउ उपयोग को धकाते रहने से कभी भी कोई बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है . और आपकी लापरवाही , उपेक्षा , या थोड़ी सी बचत बहुत मँहगी पड़ सकती है .आग लग सकती है . करेंट लग सकता है . बिजली से थोड़ा डर कर ही , सुरक्षात्मक तरीके से चलने में ही भलाई है . घर की सारी फिटिंग चैक करिये . जरूरी सुधार करिये .आज बिजली जीवन का इतना आवश्यक अंग बन चुकी है कि बिजली के विषय में घर के सभी सदस्यों को , महिला सदस्यों को भी, प्राथमिक जानकारी होना जरूरी है .
समुचित गुणवत्ता की फिटिंग से न केवल बचत होती है वरन आप व्यर्थ विद्युत व्यवधान की परेशानियों से भी बच सकते हैं .
4 थोड़ा ग्रीस , थोड़ा आइल
आज थोड़ा ग्रीस और थोड़ा आइल लेकर तैयार हो जायें , आप कितने ही ऐसे विद्युत उपकरण उपयोग करते हैं जिनमें घूमने वाले , मूविंग पार्ट्स लगे होते हैं . उपर की ओर देखें ...अपने सीलिंग फैन को ही लें . जाने कबसे , उसकी सफाई नही हुई है ! यहाँ तक कि फैन के ब्लेड्स पर नीचे की ओर भी गर्द की परत जमा हो जाती है .पंखा आवाज करके आपको बता भी रहा है कि उसे तेल चाहिये , पर हम कब से उसे अनसुना कर रहे हैं .घर का वाटर पंप जब तक खराब ही न हो जाये हम उसका मेंटेनेंस फिजूल समझते हैं . कृपया अपनी मशीनों को ओवर लोड होने से बचायें . उनमें एक नियमित अंतराल पर ग्रीसिंग , आयलिंग जरूर करें . जिन उपकरणों में बियरिंग लगी हैं , उनकी बियरिंग किसी कुशल मैकेनिक से चैक करवालें व समय रहते उसे अवश्य बदल दें . जिन उपकरणों में कैपेसिटर लगे हैं , उनके कैपेसिटर समुचित क्षमता के ही हों , ISI प्रमाणित हों , व ठीक ढ़ंग से काम कर रहे हों यह देखते रहें . इन छोटी मोटी रखरखाव की आदतों से न केवल आप बिजली बिल में कमी ला सकते हैं वरन समूचे विद्युत तंत्र के सुचारु संचालन में अपना योगदान दे सकते हैं .
तो देर किस बात की है, आज कुछ समय निकालिये ना ,अपने इन आरामदायी उपकरणों के लिये ....
5 इनर्जी आडीटर के रोल में
आमदनी के आय व्यय का आडिट किया ही जाता है .फिजूल खर्चे पर रोक का प्रयास होता है , गलत व्यय पर प्रश्न चिन्ह खड़े किये जाते हैं .
उर्जा भी तो अपरोक्ष रूप से कीमती धन ही है . आज इनर्जी आडीटर के रोल में आइये .....
क्या आपका विद्युत कनेक्शन वैद्य है ?
कभी आपने विद्युत प्रदाता कंपनी से , बिजली कनेक्शन लेते समय किये गये अनुबंध पर ध्यान दिया है ?
कहीं आप हर बार लेट पेमेंट के चलते व्यर्थ रुपये तो नही दे रहे?
बिजली सब्सिडी पर दी जाती है , अलग अलग उपभोक्ता वर्ग हेतु अलग अलग दरें होती है ,क्या आपका कनेक्शन सही वर्ग में है ? अर्थात घरेलू , व्यवसायिक , कृषि, औद्योगिक या अन्य ... जाँच करे !
कहीं आपके कनेक्शन से किसी अन्य को आपने कोई अवैद्य कनेक्शन तो नहीं दिया है ? प्रायः घर के आस पास लोग छोटे अस्थाई दूकानदारों को या किरायेदारों को स्वतः कनेक्शन दे देते हैं , और इसके लिये उनके मन में अज्ञानता के चलते कोई अपराध बोध ही नहीं होता ! आपको बिजली बेचने का अधिकार नही है .
विभिन्न खपत स्लैब हेतु अलग अलग दर होती है , क्या आपका बिल सही आ रहा है ? क्या कुछ खपत कम करके हम बिल में बड़ी बचत कर सकते हैं ?कहीं खराब मीटर के कारण आपकी लगातार एवरेज बिलिंग ही तो नही हो रही ? मीटर रीडिग और बिल में दर्ज खपत में सामंजस्य है ? आपके कनेक्शन पर यूनिट खपत , फ्लैट रेट , माँग आधारित, या अन्य किस तरह की बिलिंग होरही है , उसे जाने समझें .सही आप्शन चुने .
बड़े उपभोक्ता M.D. controler (अधिकतम माँग नियंत्रक)लगा सकते हैं .
तो कुछ होम वर्क करिये ...
6 फोकस तरह तरह के
बहुतायत में बिजली का प्रयोग प्रकाश के लिये होता है , जाने कितनी उर्जा का अपव्यय रात को दिन में बदलने की नाकाम कोशिश में होता है . बड़े बड़े बंगलों के आसपास व्यर्थ ढ़ेर सी लाइट लगाकर जैसे वैभव का प्रदर्शन किया जाता है . बिजली की जगमगाहट को बाजार की रौनक कहा जाता है .
टेबल लैंप का प्रयोग तो आप सब करते ही हैं ,यह फोकस्ड लाइट का छोटा सा उदाहरण है . जहाँ लाइट चाहिये वहीं परावर्तन द्वारा प्रकाश को एकत्रित कर फोकस से हम रोशनी का अपव्यय बचा सकते हैं .
बंगलो , दूकानो में ढ़ेर से बल्ब लगाने की अपेक्षा बंगले की बाउंडरी पर एक आयताकार फोकस लाइट , बंगले की ओर फोकस कर दो अपोजिट कार्नर्स पर , बंगले की उंचाई के बराबर के खंभों पर , भवन की प्लिंथ को फोकस करते हुये लगा दे , आप पायेंगे कि बिना रोशनी में कमी आये , बंगले की दीवारे तक जगमगा रही हैं , पर बिजली बिल में ७५ प्रतिशत तक की कमी हो गई है .
इसी तरह दूकानदार सड़क के दूसरी ओर की दूकान से अपनी दूकान पर , एवं अपनी दूकान से सामने वाले की दूकान पर फोकस लाइट का उपयोग कर बेहिसाब बिजली बचा सकते हैं , एवं इस बचत का लाभ अपने ग्राहकों को दे सकते हैं .
फोकस भी तरह तरह के आकार , प्रकार , एवं परावर्तक , लैंस आदि के साथ मिलते हैं . जिनका समुचित उपयोग कोई विशेषज्ञ सहज ही बता सकता है .
सोलर कुकर , व अन्य सौर उर्जित उपकरणो में भी फोकस का महत्व सर्वविदित तथा स्वयं स्पष्ट है .आवश्यकता बस इतनी है कि हम फोकस के प्रयोग को बढ़ावा देना शुरू तो करें ..........
7 पूरे के पूरे बल्ब बदल डालें ........
बिना किसी सोच विचार के पूरे के पूरे ट्रेडीशनल बल्ब बदल डालें और उनकी जगह सी एफ एल लगा दें . आने वाले दिनो में बिजली बिल में जो बचत होगी उससे सी एफ एल खरीदने में जो अतिरिक्त व्यय आप करेगे वह सहज ही वसूल हो जायेगा . श्वेत , कूल रोशनी मिलेगी , कमरे का तापमान नही बढ़ेगा .सीएफएल बल्ब परंपरागत बल्ब की तुलना में पाँच गुणा प्रकाश देता है।सीएफएल सामान्य बल्ब से आठ गुणा अधिक टिकाउ होते है।
यदि हम 60 वाट के साधारण बल्ब के स्थान पर, 15 वाट का कॉम्पैक्ट फ्लूरेसेन्ट लाइट बल्ब का उपयोग करते हैं तो हम प्रति घंटा 45 वाट ऊर्जा की बचत कर सकते हैं। इस प्रकार, हम प्रति माह 11 यूनिट बिजली की बचत कर सकते हैं .
हाँ एक बात ध्यान रखें ,जब भी सीएफएल खराब हो जाये तो उसे जमीन में बिना काँच तोड़े गड़ा दें , क्योकि इसमें मरकरी होता है जो वातावरण व स्वास्थ्य के लिये दुष्प्रभावी होता है .
इसी तरह ४० वाट की त्यूबलाइट की जगह उसी फिटिंग में ३६ वाट की ट्यूबराड लगा लें ..बूँद बूँद से घट भरे ...
8 फ्रिज की गास्केट चैक करें, कम्प्रैशर की गर्द साफ करें
आज फ्रिज की गास्केट चैक करें, कम्प्रैशर की गर्द साफ करें , और एअर कंडीशनर की जाली की सफाई करें ..
फ्रिज एसा उपकरण है जो २४ घंटे चलता रहता है . लंबे समय में फ्रिज की गास्केट कड़ी हो जाती है व कट या मुड़ जाती है जिससे अधिक बिजली का सतत व्यय तो होता ही है , कम्प्रैसर पर ज्यादा भार पड़ता है और उसका जीवन कम होता है , अतः समय व आवश्यकता के अनुसार गास्केट का नवीकरण आवश्यक है .
कम्प्रैशर पर बेहिसाब गर्द जमा हो जाती है, जिससे वह अतिरिक्त रूप से गरम होने लगता है . एक निश्चित अंतराल पर कम्प्रैशर की सफाई की जाती रहनी चाहिये .
ए.सी . , सबसे अधिक बिजली खपत करने वाला उपकरण है . इसमें कमरे की ही हवा सर्क्युलेट होती है , अतः कमरे को एअर टाइट रखें . जरा ए.सी. के सामने वाली जाली को हटायें , आप देखेंगे कि सामने की प्लास्टिक ग्रिल के पीछे एक महीन प्लास्टिक नेट लगी है , जो लम्बे समय से सफाई के अभाव में चोक है . इस वजह से ए सी को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है . कृपया इस नेट को बाहर निकाल कर अच्छी तरह धो दें और पुनः यथावत लगा दें . निश्चित ही शीतलन बढ़ जायेगा , बिजली की खपत घट जायेगी .
दरअसल अब तक हमारे यहाँ आफ्टर सेल सर्विस की सुढ़ृड़ प्रणाली विकसित नही हुई है , इस वजह से यह मेंटेनेंस हमें स्वयं करने आवश्यक होते हैं ,जिससे हमारे उपकरण मानक स्थितियों पर चलते रहें .
9 उर्जा की बचत के लिये प्राकृतिक खाद्य पदार्थो के उपयोग को बढ़ावा
आजकल हम दब्बाबंद खाद्य पदार्थों के उपयोग में बड़प्पन समझते हैं . यहाँ तक कि पानी भी पाउच या बोतल का ही पीते हैं . फास्टफुड की आदतें पड़ती जा रही हैं . कभी सोचिये , प्राकृतिक रूप से सुलभ फल , व अन्य खाद्य पदार्थों को प्रोसेस्ड करके उपयोग करने में हम जाने कितनी उर्जा का व्यर्थ अपव्यय कर रहे हैं ? फिर वे चाहे आलू के चिप्स हों या डब्बा बंद मांस , या अन्य पदार्थ ! इस तरह हम खाद्य पदार्थ कि पौष्टिकता ही कम नहीं कर डालते वरन उसे मँहगा बना लेते हैं , और सबसे ज्यादा चिंता का विषय है कि इस प्रक्रिया में ढ़ेर सी उर्जा का अपव्यय कर डालते हैं .
अतः आज से अपने परिवार में , अपने मित्रों में इस बात की नियमित चर्चा कीजीये व प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के उपयोग को हतोत्साहित कीजीये . बाटल्ड जूस की जगह , ताजा रस पीजिये .. प्राकृतिक खाद्य सामग्री का यथा संभव सीधा उपयोग बढ़ाइये , स्वस्थ भी रहिये और उर्जा भी बचाने में अप्रत्यक्ष रूप से अपना बहुमूल्य योगदान दीजीये ....
10 संतोषम् परमम् सुखम्
आज कुछ दार्शनिक हो जायें . जो पायें संतोष धन सब धन धूरि समान . हम शौकिया तौर पर जब भी बाजार जाते हैं कुछ न कुछ बिना जरूरत का सामान भी खरीद ही लाते हैं . शो पीस , ढ़ेर से कपड़े , संग्रह के लिये गहने , घरेलू सामान ....वगैरह वगैरह .क्या आपने सोचा है कि इस तरह अनुपयोगी सामान की खरीददारी कर आप उर्जा का अपव्यय कर रहे हैं ? प्रत्येक वस्तु के निर्माण पर प्रत्यक्ष , परोक्ष उर्जा व्यय होती ही है . अब यदि उस वस्तु का व्यर्थ संग्रहण या अनुपयोग किया गया तो हुआ
न उर्जा का अपव्यय . उर्जा संरक्षण के विषय में जब हम चेतना के इस स्तर तक जाकर सोचने लगेंगे तब ही सही मायनो में उर्जा बचत के नारे सफल हो सकेंगे . तो उर्जा बचत पर सोचिये , बातें कीजीये और कुछ क्रियान्वयन कीजीये !
11 ओवन , प्रेस , वाशिंग मशीन का एकजाई उपयोग
ओवन , प्रेस , वाशिंग मशीन जैसे उपकणों की क्षमता के अनुरूप कार्य एकत्रित कर लें फिर एक ही बार में मशीन का पूरा आप्टिमम उपयोग करे . देखिये कि कितनी बिजली बची ?
12 खिड़कियों की काँच में ट्राँसपेरेंट फिल्म लगावें
घर की खिड़कियों के कांच में ट्रांस्पेरेंट फिल्म का उपयोग कर ४ल्ट्रावायलेट किरणौ को बाहर ही रोक दें , अनुभव कीजीये कि घर के तापमान में कितना अंतर होता है !
13. फाल्स सीलिंग
यदि घर में वातानुकूलन यंत्रो का उपयपग कर रहे हैं तो फाल्स सीलिंग अवश्य करवाइये , शीतलन का वाल्यूम कम होते ही बिजली का बिल भी कम हो जायेगा .
14 उपकरणों को मुख्य स्विच से बंद करने की आदत ..
आज का समय रिमोट और कार्डलैस कंट्रोल की सुविधा के उपकरणों का है . पर क्या आपने कभी सोचा कि इसके चलते मुख्य स्विच बंद करने की हमारी आदत ही छूट गई है . टी वी रात भर भी मुख्य स्विच से बंद नही किया जाता ... कम्प्यूटर स्टैंडबाई मोड में ही बना रहता है , ब्रड बैँड का मोडेम हमेशा चालू रहने के कारण कितना गरम हो जाता है ? और तो और गीजर तक थर्मोस्टैट से ही कट होकर बंद होता है ......इतना अधिक सुविधा भोगी होना ठीक नही ! उर्जा की बचत की दृष्टि से तो बिल्कुल भी नही ! उपकरणों को मुख्य स्वच से बंद करने की आदत डालें और व्यर्थ जाती बिजली बचायें ..घर से बाहर जाते समय मीटड़ बोर्ड के निकट लगा मेन स्विच बंद कर दुर्घटना की संभावना से बचने की आदत डालें , बिजली भी बचायें .
15 कपड़े धोने के लिये ठंडे पानी का प्रयोग व सुखाने हेतु धूप व हवा ...
कपड़े धोने के लिये गरम पानी का उपयोग , व धुले हुये कपड़े सुखाने के लिये वाशिंग मशीन के ड्रायर का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है . इससे कितनी उर्जा व्यर्थ हो रही है ? यही काम सामान्य थोड़ी सी मेहनत व थोड़ा सा ज्यादा समय लगाकर ठंडे पानी से कपड़े धोकर व उन्हें खुली हवा तथा धूप में सुखाकर भी सुगमता से किया जा सकता है ! और बचाई जा सकती है ढ़ेर सी उर्जा ...
16 सामाजिक दायित्व बोध
देश भर में दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महोत्सव होता है . हम सब ने दुर्गा पूजा के पंडाल घूमें हैं . आपने नोटिस किया ? ज्यादातर पंडालों में सजावट के नाम पर बिजली की चकाचौंध ही है . डीजे का शोर है . थर्मो कूल की कलाकारी है . आंकड़े बताते हैं कि हर शहर कस्बे गाँव में ढ़ेरों दुर्गा उत्सव आयोजन समितियां है , खूब बिजली जल रही है , पर इस सजावट के लिये अस्थाई विद्युत कनेक्शन कितने लिये गये हैँ ? मतलब साफ है बिजली चोरी को हम सबने सामाजिक मान्यता दे रखी है ... ? ...?
पुराना समय याद कीजीये , दादा जी या नाना जी से पूछिये .. पहले जब इतनी बिजली की जगमगाहट नही होती थी ..तब भी दुर्गा पूजा तो होती ही थी . तब कैसे सजाये जाते थे पंडाल ? शायद तब पूजा के विधि विधान , श्रद्धा आस्था अधिक थी . आम के पत्तों की तोरण , पतंग के कागज से सजावट होती थी .सांस्कृतिक आयोजन , कविसम्मेलन , नृत्य आदि उत्सव होते थे .
बिजली की कमी को देखते हुये क्या हमें हमारे समाज और सरकार को एक बार फिर दुर्गा पूजा , मोहर्रम , क्रिसमस, न्यूइयर , गणेशोत्सव आदि आयोजनों में बिजली के फिजूल उपयोग पर , तथा आयोजन में सजावट व आयोजन के स्वरूप पर विचार मंथन नहीं करना चाहिये? ???????
और अब अंत में कुछ माथा पच्ची , मेरा प्रश्न है कि क्या प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित की जावे ?
आज के बिजली वितरण परिदृश्य में अगले १० ..१५.. . वर्षो तक बिजली की समस्या पूरी तरह हल होती नही दिखती . सुविधा हेतु लोग इनवर्टर , स्वयं के छोटे जनरेटर आदि उपकरण लगाने को मजबूर हैं . बिजली के क्षेत्र में , प्रतियोगित्मक बिजली वितरण हेतु निजिकरण किया जा रहा है . किन्तु जब एकल प्रदाता ही सब जगह नही पहुंच पाया है ,और मांग पर चाह कर भी हर एक को कही भी, कभी भी तुरत बिजली कनेक्शन व अनवरत बिजली सुलभ नही करवा पा रहा है , तो यह कल्पना करना कि बिजली वितरण का क्षेत्र मोनोपाली एण्ड रिस्ट्रिक्टेड ट्रेड प्रैक्टिस एक्ट के अंतर्गत सच्चे स्वरूप में प्रतियोगिता के स्तर पर लाया जा सकेगा , व उपभोक्ता को यह अधिकार होगा कि वह किससे बिजली खरीदे ,अभी सैद्धांतिक सोच है .
. ऐसे समय में वितरण कंपनियों को क्या प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली विकसित करना चाहिये ? जो ज्यादा पैसा देगा उसे अनवरत बिजली तो मिलेगी . पीकिंग अवर्स में सक्षम लोग इस प्रिमियम बिजली वितरण प्रणाली से बिजली खरीद सकेंगे .इससे बिजली चोरी पर नियंत्रण हो सकेगा .
विवेक रंजन श्रीवास्तव
अतिरिक्त अधीक्षण इंजीनियर
OB/11 , MPSEB Colony ,Rampur
जबलपुर
mob. 09425806252
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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सोमवार, 1 जून 2009
बिजली बचाने के कुछ टिप्स
सामाजिक लेखन हेतु ११ वें रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार से सम्मानित .
"रामभरोसे", "कौआ कान ले गया" व्यंग संग्रहों ," आक्रोश" काव्य संग्रह ,"हिंदोस्तां हमारा " , "जादू शिक्षा का " नाटकों के माध्यम से अपने भीतर के रचनाकार की विवश अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का दुस्साहस ..हम तो बोलेंगे ही कोई सुने न सुने .
यह लेखन वैचारिक अंतर्द्वंद है ,मेरे जैसे लेखकों का जो अपना श्रम, समय व धन लगाकर भी सच को "सच" कहने का साहस तो कर रहे हैं ..इस युग में .
लेखकीय शोषण , व पाठकहीनता की स्थितियां हम सबसे छिपी नहीं है , पर समय रचनाकारो के इस सारस्वत यज्ञ की आहुतियों का मूल्यांकन करेगा इसी आशा और विश्वास के साथ ..
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2 टिप्पणियां:
विवेक जी!
आपका लेख सर्व जन सुखी सर्व जन हिताय है. इसे हर व्यक्ति को न केवल पढना अपितु आचरण में भी लाना चाहिए. सभी सुझाव व्यावहारिक, सरल तथा लाभदायक हैं. आपको धन्यवाद.
-सलिल
bhut hi upyogi
agr ak yado khi gai bato kobhi aatmsat kar le to bijli bcha skte hai .
badhai
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