हिन्दी-हास्य जगत को फ़िर से आज बहाना है आँसू।
सूनापन बढ़ गया हास्य में चला गया है कवि धाँसू ।।
ऊपरवाला दुनिया के गम देख हो गया क्या हैरां?
नीचेवालों को ले जाकर दुनिया को करता वीरां।।
शायद उस से माँग-माँगकर हमने उसे रुला डाला ।
अल्हड औ' आदित्य बुलाये उसने कर गड़बड़ झाला।।
इन लोगों से तुम्हीं बचाओ, इन्हें हँसाया-मुझे हँसाओ।
दुनियावालों इन्हें पढो हँस, इनसे सदा प्रेरणा पाओ।।
ज़हर ज़िन्दगी का पीकर भी जैसे ये थे रहे हँसाते।
नीलकंठ बन दर्द मौन पी, क्यों न आज तुम हँसी लुटाते?
भाई अल्हड बीकानेरी के निधन पर दिव्य नर्मदा परिवार शोक में सहभागी है-सं.
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 18 जून 2009
श्रृद्धांजलि: अल्हड बीकानेरी - संजीव 'सलिल'
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शोक,
श्रृद्धांजलि
आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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13 टिप्पणियां:
रचना बेहद अच्छी लगी . धन्यवाद.
यह सच्ची श्रद्धांजलि है एक कवि को।
heart touching and heartbreaking.
आदरणीय सलिल जी,
कविता से सुंदर श्रद्धांजलि
उन्हें और क्या हो सकती है......
आभार.....
श्रद्धांजलि।
विनम्र श्रद्धांजलि
बीकानेरी जी को सच्ची श्रधांजलि बहुत बहुत आभार
सादर
praveen pathik
ALHAD BIKANERI KO HAMARI OR SE SHRADDHANJALI IS KAVITA KE MADHYAM SE SAHITYA SHILPI NE ALHAD BIKANERI KO YAD KAR EK ALAKH JAGAYI HAI
विनम्र श्रद्धांजलि
आदरणीय अल्हड़ जी ने हरियाणवी फीचर फिल्म छोटी साली की कथा, पटकथा और संवाद भी लिखे थे और हास्य कविताओं में अल्हड़पन अपनी गंभीरता के साथ उन्हीं की कविताओं के जरिए आया। जिसने श्रोताओं को खूब हंसाया। उनके जाने से गंभीर हो रहे हैं हम। विनम्र श्रत्रासुमन समर्पित।
हो रहा है कवि सम्मलेन ऊपर
सुन नहीं सकते उसे भू पर
श्रृद्धांजलि
Hindi jagat ko fir se aaj bahana hai aansoon
That sounds.....
Real shriddhanjali.
Thanks Sanjeev.
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