दिव्य नर्मदा के सुपरिचित गज़लकार और अभिन्न अंग भाई मनु 'बेतखल्लुस' और उमाजी के दांपत्य बंधन की वर्ष ग्रंथि पर सकल दिव्य नर्मदा की ओर से हार्दिक मंगल कामनाएं.
बहुत कम ही किसी से बिन मिले अहसास होता है.
कि अनजाना भी कोई दिल के बिलकुल पास होता है..
नरमदा नेह की जो भी नहाया, तर गया यारों.
खुदी को भूलने पर खुदा का अहसास होता है..
तकल्लुफ क्यों करें, किससे करें, कोई ये बतला दे.
तखल्लुस 'बेतखल्लुस' का हमेशा खास होता है..
मिटा कर द्वैत को, अद्वैत के पथ पर चला चल तू.
'उमा' जिसको चुने- कंकर भी शंकर-रास होता है.
वरण 'मनु' का करे देवी भी, जग में मानवी बनकर.
मिली चंदा से निर्मल चाँदनी, आभास होता है.
सफल हो साधना स्नेहिल, 'सलिल' कर जोड़कर वंदन.
करे, कह- 'हर दिवस तुमको विमल मधुमास होता है.'
न अंतर में तनिक अंतर, पढ़ा है कौन सा मंतर?
हमेशा इसमें उसका-उसमें इसका पास होता है..
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 2 जून 2009
परिणय पर्व-वर्ष ग्रथि पर बधाई : मनु-उमा शतायु हों
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परिणय-ग्रंथि पर शुभ कामनाएं,
मनु बेताखाल्लुस-उमा
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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1 टिप्पणी:
आचार्य प्रणाम,
क्या लिखा है आपने,,,,,!!!!!
kamaal....
हम बैठे बातें कर रहे हैं के कैसा दिल से लिखा हुआ है,,,,,
अंत के शेर में मैं तनिक उलझा था,, जिसका अर्थ मुझे उमा ने तुंरत स्पष्ट किया और कहा के यूं नहीं लगता जैसे आचार्या हमें बेहद करीब से जानते हों,,,?
मैंने कहा के वो हमें करीब से ही जानते हैं,,,,,
आर्शीवाद यूं ही बनाए रहियेगा,,,
उमा
मनु
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