तोता कैरी खाता है
कुतर -कुतर रह जाता है।
टें-टें करता रहे सदा
बच्चों के मन भाता है।
नहीं अकेला आता है।
मित्र साथ में लाता है।
टहनी पर बैठा होता जब
ताजी कैरी खाता है।
झूम-झूम लहराता है
खा-खाकर इठलाता है।
छोड़ अधूरी कैरी को
दूजी पर ललचाता है।
कभी न गाना गाता है
आम वृक्ष से नाता है।
काट कभी कैरी डंठल को
वह दाता बन जाता है।
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3 टिप्पणियां:
सुन्दर बाल-गीत है.
छोड़ अधूरी कैरी को
दूजी पर ललचाता है
कभी न गाना गता है
आप वृक्ष से नाता है.
बहुत सुन्दर!
महावीर शर्मा
सरस बाल गीत.
nice one
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