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मंगलवार, 31 मार्च 2009

व्यंग लेख हवाई सर्वेक्षण डॉ. रमेश चन्द्र खरे.

आजकल सर्वेक्षण की सर्वत्र चर्चा है.वह हर समस्या का तात्कालिक, सर्व हितकारी, सर्वोपलब्ध, सर्व विदित निदान हैकि उसे समय के साथ सरकाया जा सके. ऊपर से हवाई सर्वेक्षण हो तो कहना ही क्या? नेताजी बड़े अधिकारियों और पत्रकारों के साथ परिवार का भी दिल संवेदना प्रदर्शन को लालच जाता है. काश सभी को अवसर मिलता.

आजकल हर ओर बाढ़ के समाचार चर्चित हैं, जो अनावृष्टि को रोते यहे, अतिवृष्टि कको रो रहे हैं.कुछ सर्वेक्षक खुश भी हो रहे हैं. राहत कार्य शुरू होंगे. नदियाँ उफनती हैं. छोटे-मोटे बाँध और पुल टूट रहे हैं, झोपडियाँ बह रही हैं. बाढ़ के सम्भावना है और नदियों के किनारे घर बने हैं. उन्हें क्यों हटाया जाए? फिर समस्या और निदान कहाँ रहेंगे?
सर्वत्र हाहाकार है. संवेदनशील हवाई सर्वेक्षण पर निकले हैं. सदलबल प्रति वर्षानुसार स्वस्थ परंपरा का निर्वाह हो रहा है. कैमरे साक्ष्य हैं. सनद रहे वक्त पर काम आये. कहीं तो उपाय, योजना और बजट स्वीकृति में प्रमाण होगा- चुनावों में जन-सेवा का भी प्रमाण पात्र. रातों से रहत्दाताओं को भी कुछ राहत मिलेगी जो सूके की क्षतिपूर्ति होगी. देखिये, विरोधी दल कृपया इस पर राजनीति न करें. यह राष्ट्रीय संकट है.

देश में गरीबी की भी बाढ़ आयी हुई है. इतना बड़ा गरीबों का अमीर देश.उसकी बाढ़ में घिरे कंक्रीट के कुछ बहुमंजिले टापू भी अवश्य नजर आते हैं पर बाढ़ का पानी अभी उनके खतरे के निशान से नीचे है. सावधानीपूर्वक इसका हवाई सर्वेक्षण होते रहना चाहिए. वैसे चुनाव इसके लिए सर्वोत्तम समय होता है. जब 'गरीबी हटाओ' के लोक लुभावन नारे हर दल के डंडों और झंडों के साथ लहराते हैं क्योंकि बड़ी हमदर्दी है हमारे नेताओं की उनके प्रति., वर्षों से रही है और रहेगी., हम इसका वचन देते हैं. बदले में उनके तुच्छ मतदान के सिवा हमें कुछ नहीं चाहिए.

नहीं, नहीं नगण्य क्यों?, राष्ट्र के लिए वह बहुत महत्वपूर्ण है. उनका एक-एक रूपया लाखों के बराबर है. हवाई सर्वेक्षण में ऐसी ही अकूत राशि बिखरी पडी है.यह भूमि रत्नगर्भा है. उसका हवाई सर्वेक्षण जरूरी है की महत्वपूर्ण नेताओं के लिए आरक्षित क्षेत्र पूर्व निश्चित हों. हवाई सर्वेक्षण तो जैसे अपार खनिज संपदा का, अनंत हरित वनों का, अनगिनत स्रोतों दोहन की कुंजी है. लोग कहते हैं हवाई बातें हैं, लेकिन नेताजी के अनुसार हवाई सपने देखना भी जरूरी है. जैसे पिछडे बुंदेलखंड विकास की संभावनाओं का सर्वेक्षण किया जा रहा है वैसे ही अगडे क्षेत्रों के और आधिक विकास का भी सर्वेक्षण किया जाना चाहिए. तभी सर्वेक्षकों का विकास होगा.

शिक्षा क्षेत्र के सर्वेक्षण पर तो स्थानाभाव है. वर्षों से पिछडे बुंदेलखंड के विकास के लिए रेल लाइनें बिछाने का सर्वेक्षण किया जा रहा है. एक पंचम नगर बाँध बनाने का सर्वेक्षण हो रहा है. अन्य औद्योगिक संभावनाओं की भावनाएँ सर्वेक्षित हैं. बड़ी अच्छी बातें हैं. एक नेता सर्वेक्षण करता है, दूसरा अपना स्वार्थ आदे आते ही उसे रद्द करा देता है. एक सरकार चुनाव आने पर कहती hai सर्वेक्षण कार्य समाप्ति पर है, अगली पारी में शुरू हो जायेगा. सरकार बदलते ही वह अनावश्यक हो जाता है. नए तेलशोधक कारखाने का शिलान्यास होने पर भी वह शिलावत हो जाता है. स्वर्णिम चतुय्र्भुज योजना, गति धीमी कर देने से ही चारों खाने चित्त हो जाती है. शेरी का सवाल है. कोई दुर्घटना-मामला शांत हो गया तो उसे नए सिरे से सर्वेक्षित कराओ क्योंकि उसकी अशांति में ही तो हमारी परम शांति है.

हवाई जहाज का युग है इसलिए हर क्षेत्र में कई हवाई सर्वेक्षणों की श्रृंखला जरूरी है, तभे एहम प्रगतिशील-विकसित देश होने की ओर बढ़ेंगे. वैसे घर बैठे मानसिक रूप से भी हवाई सर्वेक्षण किया जा सकता है, पिछली गलतियों का भी और आगामी उज्जवल संभावनाओं का भी. हमारी शुभ कामनाएँ हैं.

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लेखक परिचय: जन्म: १९-७-१९३७, होशंगाबाद.शिक्षा: एम्.ए., दीप. टी., पी-एच. डी., शोध- अम्बिका प्रसाद 'दिव्य' : व्यक्तित्व और कृतित्व. प्रकाशित कृतियाँ: महाकाव्य- विरागी-अनुरागी, व्यंग संग्रह- अधबीच में लटके, शेष कुशल है, काव्य- संवेदनाओं के सोपान, बाल साहित्य- आओ, गायें शाला शाला में पढ़ते-पढ़ते, आओ सीखें मैदान में गाते-गाते, कहानियां बुद्धि और विवेक की, प्रकृति से पहचान, अनेक सम्मान. संपर्क: श्यामायन एम्.आई.जी. बी ७३ विवेकानंद नगर, दमोह ४७०६६१ / ०९८९३३४०६०४ / ०७८१२२२१९२८.

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