कुल पेज दृश्य

रविवार, 22 मार्च 2009

दोहे समय 'सलिल'

दोहे :

समय न होता है सगा, समय न होता गैर।
'सलिल' सभी की मांगता, है ईश्वर से खैर।

समय बड़ा बलवान है, चलें सम्हलकर मीत।
बैर न नाहक ही करें, बाँटें सबको प्रीत।

समय-समय पर कीजिये, यथा-उचित व्यवहार।
सदा न कोई जीतता, सदा न होती हार।

समय-समय की बात है, राजा होता रंक।
कभी रंक राजा बने, सदा रहें निश्शंक।

समय-समय का फेर है, आज धूप कल छाँव।
'सलिल' रह पर रख सदा, भटक न पायें पाँव।

**************************************

5 टिप्‍पणियां:

Divya Narmada ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Vivek Ranjan Shrivastava ने कहा…

wah ! wah !

बेनामी ने कहा…

This excellent website really has all the info I wanted about this subject and
didn't know who to ask.

Here is my web blog; travel

बेनामी ने कहा…

Right now it appears like Drupal is the best blogging platform available right now.

(from what I've read) Is that what you're using on your blog?


Also visit my weblog: vakantiehuisjes huren

बेनामी ने कहा…

I was able to find good information from your blog posts.


Here is my web blog :: vakantiehuisje frankrijk