जब -जब भी तुम तनहा होगे
तब साथ मुझे ही पाओगे .
जब याद मेरी आ जायेगी.
तब ख़ुद से ही शरमाओगे.
हर कोशिश कर के देख लो तुम
पल भर भी भूल न पाओगे .
जैसे ही कुछ आहट होगी .
बाहों में 'सलिल' की आओगे।
************************
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें