कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 21 मई 2020

अभियान १७ वां राष्ट्र भक्ति पर्व

 समाचार:
ॐ 
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर 
१७ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : राष्ट्र भक्ति पर्व 
*
जबलपुर २०-५-२०२०। विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के तत्वावधान में १७ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : राष्ट्र भक्ति पर्व का आयोजन प्रसिद्ध पादप रोग विशेषज्ञ, बच्चन जी के काव्य गुरु रामानुजलाल श्रीवास्तव "ऊँट बिलहरीवी'' की पुत्री, गीतांजलि के अनुगायक स्वातंत्र्य सत्याग्रही भवानी प्रसाद तिवारी की पुत्रवधु, ख्यात कवयित्री डॉ. अनामिका तिवारी की मुखियाई तथा सिरोही राजस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार छगनलाल गर्ग 'विज्ञ' के  पाहुनत्व में हुआ। उद्घोषक प्रो. आलोकरंजन ने आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' रचित "हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अब विमल मति दे" सरस्वती वंदना तथा कोकिलकंठी गायिका मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने तैथिक जातीय गोपी छंद में संजीव  'सलिल' द्वारा लिखित हिंदी की आरती ''भारती भाषा प्यारी की, आरती हिंदी न्यारी की'' प्रस्तुत कर वाहवाही पाई। कृपालुजी महाराज के समर्पित शिष्य कृष्णभक्त इंजी. गोपालकृष्ण चौरसिया 'मधुर' ने ''दो पल भी जी तू प्यार से इंसान बन के जी, न हिन्दू सिख मुसलमान ईसाई बन के जी'' गाकर राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया। एशिया पैसिफिक टेलीकम्युनिकेशन सोसाइटी के पूर्व महामंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ से पुरस्कृत अभियंता अमरेंद्र नारायण ने दांडी यात्रा पर रचित कालजयी रचना ''तुम रत्नाकर से अंजुली भर रत्न माँगने नहीं आये थे ओ पिता! / तुमने तो सागर की तलहटी से अपने देश का स्वाभिमान उबारने आये थे''  प्रस्तुत का श्रोताओं का मन जीत लिया। चर्चित समीक्षा इंजी  सुरंदे सिंह पवार ने  रासो-आल्हा गायन लोक परंपरा पर शोधपरक आलेख प्रस्तुत करते हुए राष्ट्र की आवश्यकता पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने की परंपरा को जीवंत करने का अनुरोध किया। बृज भूमि की सांगीत परंपरा पर प्रकाश डालते हुए नरेंद्र कुमार शर्मा 'गोपाल' आगरा ने अमरसिंह राठौर  का उल्लेख किया।  डाल्टनगंज झारखंड के वरष्ठ छंद शास्त्री श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने कारगिल के शहीद जुगम्बर दीक्षित पर काव्य पुष्प अर्पित किया। " मधुमय देश हमारा" गीत पंक्तियों के साथ राजमाता अहल्याबाई होल्कर की नगरी इंदौर से पधारी अर्पणा तिवारी ने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य भाव का निर्वहन करना परमावश्यक बताया। मी नाक्षी शर्मा 'तारिका' ने वीर रस का तात्विक विवेचन करते हुए, उसके उत्साह और आवेग को राष्ट्र हितार्थ आवश्यक बताया। 

वरिष्ठ साहित्यकार छगनलाल गर्ग ने राष्ट्रवाद को मानसिक अवधारणा निरूपित करते हुए राजस्थान के रासो काव्य की विवेचना की।  डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव ''असीम'' ने रासो परंपरा पर विद्वतापरक आलेख का वाचन किया।  भारतीय वायुसेना में ग्रुपकैप्टन रह चुके श्यामल सिन्हा, गुड़गांव ने फ़ौजी की मनस्थिति का जीवंत शब्द चित्र उपस्थित किया "फौजी एक भी एक दिल होता है"। से.नि. अभियंता रमन श्रीवास्तव ने वीर रास को सैन्य अभियानों के समय प्रेरणास्रोत बताया जो मानव ह्रदय के करुणा-श्रृंगार आदि भावों को दबाकर शौर्य और आज को उभारता है। चम्बल घाटी के भिंड से सम्मिलित हुई मनोरमा जैन 'पाखी' ने रीति कालीन वीर काव्य को तत्कालीन देशभक्ति भाव से परिपूर्ण बाटे हुए भूषण, लालकवि, पद्माकर, बिहारी आदि द्वारा राजाओं के मार्गदर्शन का उल्लेख किया। खाय विवेचक डॉ. हरिकृष्ण त्रिपाठी के तनया डॉ. मुकुल तिवारी ने राष्ट्रभक्ति और वीर रस के अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला। बुंदेली तथा संस्कृत साहित्य की उद्भट विदुषी  डॉ. सुमन लता श्रीवास्तव ने अंग्रेजी काव्य विधा बैलेड जिसमें वीरगाथा कही जाते है, की संरचना पर गवेषणापूर्ण शोधलेख प्रस्तुत किया। मनोरमा रतले दमोह ने शहीदों के प्रति आभार व्यक्त करता काव्य पाठ किया। भारती नरेश पाराशर ने शहीदों के प्रति भावपूर्ण काव्यांजलि प्रस्तुत की गयी।  संतोष शुक्ला ग्वालियर आदि ने भी राष्ट्र भक्ति विषयक  रचनाओं का पाठ कर आयोजन को समृद्ध किया। पलामू के प्रो. आलोकरंजन ने समयानुशासित, सरस सञ्चालन करने के साथ-साथ राष्ट्रीय भावधारा परक गीत का सरस गायन किया।  विनीता श्रीवास्तव ने स्वातंत्र्य सत्यग्रह और राष्ट्रीय एकता के कारकों पर प्रकाश डाला। बबीता चौबे दमोह ने 'ओ वीर भारती के, तुमको नमन है मेरा' गाकर सैन्य बलों का अभिनन्दन किया। से.नि. इंजी अरुण भटनागर ने वीर रस को राष्ट्रीय शौर्य और गर्व का वाहक निरूपित किया। धन का कटोरा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की कवयित्री रजनी शर्मा ने पारंपरिक ओजपरक नृत्य-गीत शैली पंथी की रचना प्रस्तुत कर प्रशंसा पाई। ''जागो वीर जवानों जागो, जागो मेरे हिंदुस्तान'' स्वरचित, स्वलयबद्ध गीत की मनोहर प्रस्तुति कर से.नि. अभियंता उदयभानु तिवारी 'मधुकर' ने अनुष्ठान की गरिमा वृद्धि की।  

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने लोक तंत्र में जनगण द्वारा, भारत माता का वंदन' रचना प्रस्तुत कर नवाशा और नवोत्साह का संचार करती रचना प्रस्तुत की। पाहुने के सम्बोधन में छगन लाल 'विज्ञ' जी ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर के सारस्वत अनुष्ठानों को इस संक्रांति काल में बहुत उपयोगी और जन जागरण हेतु आवश्यक बताया। मुखिया डॉ. अनामिका तिवारी ने स्वातन्त्रय संग्राम काल से लेकर अब तक साहित्यकारों द्वारा प्रेरक और उत्प्रेरक साहित्य की सोदाहरण चर्चा करते हुए आज प्रस्तुत हर रचना का सम्यक विश्लेषण किया। अनामिका जी ने आज मानवीय मूल्य परक साहित्य का सृजन कर समाज को एक सूत्र में गूँथने का आह्वान साहित्यकारों से किया। इस सारस्वत समयानुकूल कार्यक्रम की पूर्णाहुति अभियंता अरुण भटनागर द्वारा अध्यक्ष डॉ. अनामिका तिवारी, मुख्य अतिथि छगनलाल गर्ग विज्ञ और सभी सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। 
*** 
नमन शारदे-गजानन, वंदन भारत मात 
जगवानी हिंदी सके, त्रिभुवन में विख्यात 
ध्वजा तिरंगी को करें, मिलकर सभी प्रणाम 
राष्ट्र एकता सुदृढ़ हो, अनुपम दिव्य ललाम 
अनामिका जी विज्ञ जी, स्वागत हम हैं धन्य
शुभ उपस्थिति आपकी, चिंतन होगा नव्य   
मीनाक्षी-आलोक की, कोकिलकंठी तान 
सुनने खुद अमरेंद्र आ, बढ़ा रहे हैं मान 
सुमधुर स्वर छेड़ें मधुर, कहें बनो इंसान 
सुन सुरेंद्र तज स्वर्ग को, आये हिंदुस्तान 
कालजयी रचना पढ़ी, दांडी आया याद 
काश आज हों एक हम, हो पाएं आज़ाद  

कोई टिप्पणी नहीं: