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मंगलवार, 26 मई 2020

अभियान २३ : लोक (लोकोक्ति-मुहावरा पर्व)

समाचार
* विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर *
२३ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : लोक पर्व (लोकोक्ति / कहावतें और मुहावरे)
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जबलपुर २६-५-२०२०।  सनातन सलिला नर्मदा तट पर स्थित संस्कारधानी जबलपुर की प्रमुख साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर ने कोरोना महामारी के कारण प्रभावशील गृहबंदी को सुअवसर में बदलते हुए साहित्यिक प्रवृत्ति के सज्जनों को समूहबद्ध कर दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान की श्रृंखला आरंभ की। आज २३ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : लोक पर्व (लोकोक्ति / कहावतें और मुहावरे) का आयोजन वाग्देवी तथा विघ्नेश्वर वंदना के पश्चात् संगीत जगत की प्रतिभा माधुरी मिश्रा जी को मुखिया तथा शाने-अवध लखनऊ से पधारे इंजी. साहित्यकार अमरनाथ जी  को पाहुने की आसंदी पर आसीन कर आरंभ हुआ। कोकिलकंठी गायोंका मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने महाप्राण निराला रचित कालजयी सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। विषय प्रवर्तन करते हुए आचार्य संजीव वर्मा सलिल ने लोकोक्ति व् मुहावरों को परिभाषित करते हुए उनके उद्गम व उनमें अंतर पर प्रकाश डाला। सलिल जी ने मुहावरों का प्रयोग कर लिखे गए दोहों और षट्पदी की प्रस्तुति कर श्रोताओं से प्रशंसा पाई। 
प्रीति मिश्रा ने बचपन में सुनी लोकोक्ति 'न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी' की चर्चा करते हुए उसके मूल में छिपी कहानी कही। युवा सारांश गौतम ने विविध लोकोक्तियों में निहित व्यंग्यार्थों की चर्चा की। डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे ने विषय पर सरस चर्चा की। सिरोही राजस्थान से पधारे छगनलाल गर्ग 'विज्ञ' ने राजस्थानी कहावत-लोकोक्तियों व मुहावरे के पृष्ठभूमि में अनुभव हुए विलक्षणता  को आवश्यक बताया। पीताम्बरा माता के धाम दतिया से पधारे डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' ने रचनाकारों में सतत बढ़ती व्यंजनात्मकता को इंगित करते हुए मुहावरे को अर्थ चमत्कारकारी बताया। सिद्धेश्वरी सराफ 'शीलू' ने कबीर साहित्य में मुहावरों को इंगित किया। सपना सराफ ने 'कै हंसा मोती चुने, कै भूखे मर जाए ' का विश्लेषण किया। डॉ. मुकुल तिवारी ने लोकोक्ति व् मुहावरे के साथ  की भी चर्चा की। छाया सक्सेना ने बघेली लोकोक्तियों पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध समीक्षक इंजी सुरेंद्र सिंह पवार ने बुंदेलखंडी लोक मान्यताओं और लोक विश्वासों से उपजी  कहावत-मुहावरों के साथ 'बुझौअल' पर प्रकाश डाला। 
'जय जुहार' के अभिवादन के साथ पधारी धन के कटोरा रायपुर से रजनी शर्मा ने छत्तीसगढ़ी ''हाना'' (कहावतों) की चर्चा की तथा पूरा वक्तव्य छत्तीसगढ़ी में दिया। विदुषी डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव ने कहावतों और मुहावरों को सभ्यता का पाठ बताया। गुड़गाँव हरयाणा से सम्मिलित हुए भारतीय वायु सेना के से.नि. ग्रुपकेप्टन श्यामल सिन्हा ने मुहावरों को भाषा को जीवंत बनानेवाला कारक बताया। इंजी अरुण भटनागर ने घाग-भड्डरी की कृषि व् मौसम संबंधी कहावतों पर प्रकाश डाला। डॉ. संतोष शुक्ला ग्वालियर ने बृज कहावतों की रोचक प्रस्तुति की। विख्यात हिंदी-बुंदेली साहित्यकार लक्ष्मी शर्मा ने विविध कहवतों को प्रस्तुत कर उनकी पृष्ठभूमि की सरस चर्चा की। पानीपत से पधारी मंजरी शर्मा ने कहावतों से संबंधित कहानी सुनाई। डॉ. भावना दीक्षित ने लोकोक्ति पर्व के आयोजन की अभिनवता को उल्लेख्य बताया। जपला झारखंड की प्रतिनिधि रेखा सिंह ने लोकोक्तियों को लोक चेतना का प्रतीक बताया। भारती नरेश पाराशर ने अभियान के सारस्वत अनुष्ठान को विशेष उपयोगी बताते हुए महावरों को कथ्य को प्रभावी बनानेवाला तत्व कहा। 
मनोरमा जैन पाखी भिंड ने आम बोलचाल में प्रयुक्त कहावतों और लोकोक्तियों को गागर में सागर बताया। दमोह से आयी मनोरमा रतले ने देश काल परिस्थिति को व्याख्यायित करने में लोकोक्तियों को सक्षम बताया। चंदा देवी स्वर्णकार ने बात-बात में लोकोक्तियों और कहावतों के प्रयोग को स्वस्थ्य मनोरंजन संपन्न बताया। प्रो आलोकरंजन पलामू झारखंड ने लोकोक्तियों और मुहावरों को सोनेवाले को जगाने में सक्षम बताया। ख्यात बुंदेली साहित्यकार और आकाशवाणी उद्घोषक प्रभा विश्वकर्मा 'शील' ने  बुंदेली लोक कथा में नंद-भौजाई की रोचक चर्चा सुनते हुए लोकोक्तियों का मनोहर प्रयोग किया। 
पाहुने की आसंदी से इंजी अमरनाथ लखनऊ ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान के इस सारस्वत अनुष्ठान को साहित्य जगत में नए आयाम स्थापित करने वाला, सारगर्भित विचारों से साहित्यिक इतिहास रचनेवाला निरूपित किया। अध्यक्षीय आसंदी से माधुरी मिश्रा जी संस्थापक गूँज संस्था ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के संस्थापक-संयोजक सलिल जी व् सब सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भाषा की शक्ति और उपयोगिता वृद्धि में मुहावरों और कहावतों की भूमिका को बिहारी के दोहों की तरह बताया। इंजी अरुण भटनागर ने मुखिया माधुरी जी, पाहुना अमरनाथ जी तथा सभी सहयोगियों को प्रदत्त सहयोग हेतु आभार देते हुए भविष्य में योगदान की कामना की। समापन के पूर्व स्वतंत्रता सत्याग्रही सुकवि माणिकलाल चौरसिया के १०७ वे जयन्ती पर तथा गुरु अर्जन देव स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। 
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