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सोमवार, 25 मई 2020

कार्य शाला : प्रीति मिश्रा

कार्य शाला : प्रीति मिश्रा
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आंखों में अंगार भरो, कर कटार धरो।
बढ़े चलो वीर तुम, करोना को मारने।
धरती भी कहती है अंबर भी कहता है,
शाकाहारी को  कमजोरी बुझते
है,
चलो चीनी सामान का नशा उतारने।
वायरस के भेष में, दानवों के वंशज हैं,
अति सुंदर है साथ रहे विश्व करे सहाराने।।
🙏🏻🙏🏻
वीणा वाली से वरदान

वीणा वाली  तू है, गुणों से परिपूर्ण,
मां मेरी तुझ बिन मैं हूं अपूर्ण।
सीख दे  मुझे, अपने गुणों की,
कहे मुझे जग सारा ,
आप की बेटी।
श्रद्धा, प्रेरणादाई, प्रेम की तू है मूर्ति,
सांचे से अपनी ढाल मुझे, कर मेरी पूर्ति।
जीवन में चल आगे, बनू अगर मां,
कहे जग सारा , श्रद्धा से परिपूर्ण मां
मां मेरी तू है, गुणों से परिपूर्ण,
मां मेरी  तेरे बिन ,मैं हूं अपूर्ण


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