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मंगलवार, 26 मई 2020

आनंदवर्धक छंद

एक दोहा
सकल भूमि सरकार की, किसके हैं हम लोग?
कहें जांय किस भाड़ में?, तज घड़ियाली सोग
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जनगण ने प्रतिनिधि चुने, कर पायें वे काम
जो इसमें बाधक बने, वह भोगे परिणाम
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२६-५-२०१७ 
मुक्तिका
तेरे लिए
(१९ मात्रिक महापौराणिकजातीय आनंदवर्धक छंद)
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जी रहा हूँ श्वास हर तेरे लिए
पी रहा हूँ प्यास हर तेरे लिए
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हर ख़ुशी-आनंद है तेरे लिए
मीत! मेरा छंद है तेरे लिए
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मधुर अनहद नाद है तेरे लिए
भोग, रसना, स्वाद है तेरे लिए
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वाक् है, संवाद है तेरे लिए
प्रभु सुने फ़रियाद है तेरे लिए
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जिंदगी का भान है तेरे लिए
बन्दगी में गान है तेरे लिए
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सावनी जलधार है तेरे लिए
फागुनी सिंगार है तेरे लिए
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खिला हरसिंगार है तेरे लिए
सनम ये भुजहार है तेरे लिए
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