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शनिवार, 30 मई 2020

अभियान २७ : गृहवाटिका पर्व

समाचार: 

२७ वां दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : हरियाली  पर्व 
हरियाली मानसिक तनाव मिटाकर स्वास्थ्य-सुख देती है - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
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जबलपुर, ३०-५-२०२०। संस्कारधानी जबलपुर की प्रतिष्ठित संस्था विश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के २७ वे दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान हरियाली पर्व के अंतर्गत गृह वाटिका पर व्यापक विमर्श किया गया। संस्था तथा कार्यक्रम के संयोजक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने विषय प्रवर्तन करते हुए भारतीय जन मानस और लोक परंपरा को उत्सव प्रधान बताते हुए हरियाली को उत्सवों का उत्स निरूपित किया। पौधों और वृक्षों में दैवीय शक्तियों के निवास तथा पर्वों पर पौधों का पूजन करने का उल्लेख करते हुए आचार्य सलिल ने महानगरों में पौधे न मिलने के कारण उत्सव न मना पाने की विवशता गृह वाटिका दूर कर सकती है। इसके पूर्व उद्घोषक डॉ. आलोक रंजन पलामू झारखण्ड ने आज की मुखिया छाया सक्सेना, जबलपुर मध्य प्रदेश तथा पाहुना विनोद जैन वाग्वर सागवाड़ा राजस्थान का स्वागत कर सरस्वती पूजनोपरांत कोकिलकंठी गायिका मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' से आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल द्वारा रचित सरस्वती वंदना का गायन कर विमर्श आरंभ कराया। पीताम्बरपीठ दतिया से पधारे डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव 'असीम' ने गृह वाटिका की उपादेयता बताते हुए, विविध पौधों से प्राप्त लाभों की जानकारी दी। प्रीति मिश्रा जबलपुर ने करेला, तुलसी, सदसुहागिन, पारिजात आदि पौधों से विविध रोगों की चिकित्सा के जानकारी दी।    
धान का कटोरा कहे जानेवाले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से तशरीफ़ लाई रजनी शर्मा 'बस्तरिया' ने  'कबाड़ से जुगाड़' कर विद्यालय में बनाई गयी बगिया की कहानी सुनाकर सबको ऐसा करने की प्रेरणा दी। उन्होंने पौधों-पेड़ों के साथ तख्ती पर पीड़ के नाम, उपयोग आदि लिखकर विद्यार्थियों  का सामान्य ज्ञान बढ़ाने का उल्लेख किया।  

दमोह से सम्मिलित हो रही मनोरमा रतले ने गिलोय, आक (धतूरा), अमरबेल आदि के उपयोग की जानकारी दी। जबलपुर से भाग ले रही भारती नरेश पाराशर ने घर में उपयोग की गए साग-सब्जियों के छिलकों से  कंपोस्ट खाद बनाने की विधि बताई। प्रसिद्ध पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका तिवारी ने जापानी कही जा रही पौध कला बोनसाई (बोन = छिछला पात्र, साईं = पौधा लगाना) का जन्म भारत में ऋषि आश्रमों में बताया। उन्होंने गूलर, शहतूत रबर गुड़हल, गुलमोहर संतरा, करौंदा आदि को हरियाली, पुष्प तथा फल हेतु उपयुक्त बताया। बोनसाई के लिए पात्र चयन को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। बोनसाई के लिए जलनिकासी वाली मिटटी को उन्होंने उपयुक्त बताया। डॉ. मुकुल तिवारी ने सूर्य प्रकाश न मिल पाने पर भी उगाये जा सकने वाले पौधों की जानकारी दी। जपला, पलामू से सहभागी रेख सींग ने कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि पर प्रकाश डाला। दमोह की बबीता चौबे शक्ति ने बिना मिट्टी के ऑर्गनिक खेती की विधि बताई। मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने गृह वाटिका में पौधों का महत्व बताया। 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने गृहवाटिका को सकारात्मक ऊर्जा का संसार बताते हुए पौधों और पर्वों के अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला। इंजी. अरुण भटनागर ने गृह वाटिका में आयुर्वेदिक औषदीयों शतावर, मयूरपर्णी, ब्राह्मी आदि को लगाने की विधि व् उनसे लाभों की जानकारी दी। डॉ. संतोष शुक्ला ग्वालियर ने पर्यावरण के प्रति सजगता को आवश्यक बताया। दमोह के डॉ. अनिल जैन ने अपनी गृह वाटिका से पंछियों के कलरव की ध्वनि सुनवाई। माधुरी मिश्रा ने पौधारोपण पर एक कविता प्रस्तुत की। पाहुने की आसंदी से विनोद जैन ने पौधों की महत्ता पर पौराणिक संदर्भों की जानकारी दी। मुखिया छाया सक्सेना ने गृहवाटिका से घर के सदस्यों विशेषकर बच्चों के व्यक्तित्व में निखार होने की  जानकारी देते हुए हर घर में वाटिका बनाये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। 
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विघ्नेश्वर-शारद नमन, अनुकम्पा-आलोक
दें विनोद-आमोद की, छाया हर ले शोक
प्रीति कीजिए प्रकृति से, हो असीम सुख-शांति 
बगिया बना कबाड़ से, दूर करें हर भ्रांति
खाद मिले कम्पोस्ट यदि, बढ़ते पौधे खूब 
मनोरमा हरीतिमा हो, सकें शांति में डूब 
रजनी से सूरज उगे, हो भारती प्रसन्न 
अनामिका हो नामिका, 



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