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गुरुवार, 28 मई 2020

सरस्वती वंदना अलंकार युक्त

सरस्वती वंदना अलंकार युक्त 
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वाग्देवि वागीश्वरी, वरदा वर दे विज्ञ             
- वृत्यानुप्रास  (आवृत्ति व्)
कोकिल कंठी स्वर सजे, गीत गा सके अज्ञ     
-छेकानुप्रास (आवृत्ति क, स, ग)
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नित सूरज  दैदीप्य हो, करता तव वंदन        
- श्रुत्यनुप्रास (आवृत्ति दंतव्य न स द त)
ऊषा गाती-लुभाती, करती अभिनंदन           
- अन्त्यानुप्रास (गाती-भाती)
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शुभदा सुखदा शांतिदा, कर मैया उपकार     
- वैणसगाई (श, क)
हंसवाहिनी हो सदा, हँसकर हंससवार           
- लाटानुप्रास (हंस)
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बार-बार हम सर नवा, करते जय-जयकार     
- पुनरुक्तिप्रकाश (बार, जय)
जल से कर अभिषेक नत, नयन बहे जलधार 
- यमक (जल = पानी, आँसू)
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मैया! नृप बनिया नहीं, खुश होते बिन भाव
- श्लेष (भाव = भक्ति, खुशामद, कीमत)
रमा-उमा विधि पूछतीं, हरि-शिव से न निभाव?
- वक्रोक्ति (विधि = तरीका, ब्रह्मा) 
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कनक सुवर्ण सुसज्ज माँ, नतशिर करूँ प्रणाम
- पुनरुक्तवदाभास (कनक = सोना, सुवर्ण = अच्छे वर्णवाली)
मीनाक्षी! कमलांगिनी, शारद शारद नाम
- उपमा (मीनाक्षी! कमलांगिनी), - अनन्वय (शारद)
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सुमन सुमन मुख-चंद्र तव, मानो 'सलिल' चकोर
- रूपक (मुख-चंद्र), उत्प्रेक्षा (मान लेना)
शारद रमा-उमा सदृश, रहें दयालु विभोर
- व्यतिरेक (उपमेय को उपमान से अधिक बताया जाए)
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