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मंगलवार, 26 मई 2020

त्रिपदियाँ

त्रिपदियाँ
*
सलीबें भी जब करें,
मन रंजना तब जानिए
विपक्षी हैं सामने
*
सलीबें थर्रा रहीं हैं
देख सत को सामने
काश हम होते नहीं
*
सलीबें बन रही हैं
आजकल इतिहास
कैसा समय है?
*
सलीबों की वंदना
कर कहें मन रंजना
वाह रे! इंसान
*
सलीबों को चूमकर
अदीबों ने कह दिया
है यही जम्हूरियत
*
सलीबें कब
देवताओं को मिलीं
सौ खून उनके माफ हैं।
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