कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 21 मई 2020

अभियान : १८ वां पर्व : कवि-कविता स्मरण पर्व

समाचार:
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर
१८ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : राष्ट्र भक्ति पर्व
*
जबलपुर २१-५-२०२०। विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर के तत्वावधान में १८ वाँ दैनंदिन सारस्वत अनुष्ठान : कवि और कविता स्मरण पर्व का आयोजन सनातन सलिला नर्मदा, वाग्देवी शारदा, भारत माता था जगवाणी हिंदी के पूजन, दीप प्रज्वलन तथा इंजी. उदयभानु तिवारी द्वारा स्वरचित तथा दिल्ली से पधारी डॉ. नेहा त्रिपाठी 'इलाहाबादी' द्वारा महाप्राण निराला रचित सरस्वती वंदना के सुमधुर गायन के साथ आरम्भ हुआ। इंजी गोपालकृष्ण चौरसिया 'मधुर' ने जगद्गुरु कृपालु जी महाराज रचित परमभक्ति ोड का सस्वर गायन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

शारद नर्मद हिंदी भारत, वंदन कर कविता के संग
मधुकर-मधुर गागरी रस की, नेहा अगिन बिखेरे रंग
प्रियतम पास पहुँच विद्यापति , पा कृपालु की कृपा अनंत
कहें निराला रसानंद है, पीकर झूमे दिशा दिगंत

मैथिल कोकिल वद्यापति के पदों का सरस गायन किया मीनाक्षी शर्मा 'तारिका ने। ग्वालियर से सहभागी डॉ. संतोष शुक्ला से.नि.प्राचार्य ने एक भारतीय आत्मा माखन लाल चतुर्वेदी की कालजयी रचना पुष्प का अभिलाषा प्रस्तुत कर स्मरणांजलि अर्पित की। बबिता चौबे शिक्षिका दमोह ने सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बाल कविता 'कदंब का पेड़' प्रस्तुत कर सरिताओं को बचपन की याद दिला दी। दिल्ली से पधारी कविता राय ने सामान्यत: समालोचक और नाट्यकार के रूप में ख्यात डॉ. राम कुमार वर्मा की कविता ''मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ'' विस्मृत पृष्ठ से सक्षात कराया।

संस्कृत साहित्य की विशेषज्ञ डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव ने गीतों के राजकुमार गोपाल सक्सेना 'नीरज' के की अमर रचना 'सूनी सूनी सांस के सितार पर' प्रस्तुत कर सदन को मुग्ध कर दिया। युवा कवयित्री सपना सराफ ने छायावाद की स्तंभ महीयसी महादेवी जी ''जो तुम आ जाते एक बार '' की करुणा को साकार कर सराहना पाई। इंजी. अरुण भटनागर ने मधुशाला के गायक हरिवंश राय 'बच्चन' की रचना 'मिट्टी का तन, मस्तीं का मन, पल भर जीवन मेरा परिचय' का वाचन किया। वीरभूमि के महाकवि श्यामनारायण जी पांडे की मुर्दे में प्राण फूंकने में सक्षम रचनाओं 'चेतक तथा राणा की तलवार का ओजस्वी स्वर में वाचन अर्पणा तिवारी इंदौर ने किया।

कालिदास अकादमी उज्जैन के पूर्व अध्यक्ष संस्कृत -पाली-ब्राह्मी साहित्य के सागर आचार्य श्रीकांत चतुर्वेदी ने संस्कृत काव्य का सस्वर पाठ कर सकल सदन को धन्यता की प्रतीति कराई। चर्चित समीक्षक इंजी. सुरेंद्र सिंह पवार ने गीतों का राजकुमार चन्द्रसेन 'विराट' द्वारा रचित गीत 'प्यार किया तुमसे तो हमने क्या होगा परिणाम न सोचा' प्रस्तुत करते हुए विश्ववाणी हिंदी संतान के इस सारस्वत अनुष्ठान को अप्रतिम बताया। प्रसिद्ध पादप रोग विशेषज्ञ , निष्णात कवयित्री, सरस् गायिका डॉ. अनामिका तिवारी ने संस्कारधानी के महापौर और सांसद रहे स्वातंत्र्य सत्याग्रही भवानी प्रसाद तिवारी जी की रचना 'अभागे जीवन की जय बोल' सुनाते हुए निराशा में आशा तथा श्रम की प्रतिष्ठा के मनोभावों को कुशलता पूर्वक व्यक्त किया। महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने संस्कारधानी के मधुर गीतकार कृष्ण कुमार चौरसिया 'पथिक' के दो गीत खजुराहो तथा पनिहारिन को याद करते हुए 'एक भूली सी कहानी याद कर, प्राण मेरे आज फिर आकुल हुए' सुनाकर काव्य रसिकों को आनंदित किया।

विश्ववाणी हिंदी संस्थान के संयोजक-संचालक आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' ने हिंदी-अंग्रेजी-फ़ारसी-अरबी-उर्दू के विद्वान पन्नालाल श्रीवास्तव 'नूर' की ग़ज़लों, गीतों तथा खाइयां और हाफ़िज़ के अंगरेजी-हिंदी अनुवाद को प्रस्तुत किया। सलिल जी ने नूर जी के गीत 'तुम पर ही अभिशाप ढलेगा', ग़ज़ल 'पूछिए हमसे हमें क्या इश्क़ में हासिल हुआ' तथा खाइयां व् हाफ़िज़ की रुबाइयों के अंग्रेज-हिंदी अनुवाद के अनुवाद सुनकर सदन से सराहना पाई। डॉ. मुकुल तिवारी ने वैदिक साहित्य विशेषज्ञा डॉ. इला घोष रचित कृति 'हुए अवतरित क्यों राम' का अंश सुनाया। गीत-नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर पंकज श्रीवास्तव के सशक्त नवगीत 'मैंने अपने लिए नहीं भरपेट जुटा पाई है रोटी' का सस्वर गायन कर युगीन विसंगतियों को उद्घाटित किया। दिल्ली से सहभागिता कर रही डॉ. भावना शुक्ल ने डॉ. राजकुमार तिवारी सुमित्र के समयसाक्षी दोहे प्रस्तुत किये। डॉ. कामना तिवारी श्रीवास्तव ने डॉ. गायत्री तिवारी 'सुमित्र' की कविता 'जीवन कविता है / सम्पूर्ण कविता या महाकाव्य / जिसमें है सम्भाव्य या असंभाव्य' प्रभाव पूर्ण ढंग से सुनाई। रायपुर से रजनी शर्मा ने कवि विजय सिंह की कविता 'बोड़ा' तथा 'बंद टाकीज' का वाचन कर कविता की आधुनिक भावमुद्रा से परिचित कराया।

पलामू के आचार्य रामदीन पांडेय की रचना ' का वाचन डॉ. आलोकरंजन ने किया। चंबल की घाटी भिंड से पधारी मनोरमा जैन 'पाखी' ने आचार्य संजीव वर्मा सलिल की रचना 'भोर भई' का पाठ किया। सुकवि अभय तिवारी ने महाकवि गोविन्द प्रसाद तिवारी की कविता';बड़े वृक्ष से ये लिपटती लताएँ' तथा गीत 'याद किसी की आती' की प्रभावी प्रस्तुति की। मीना भट्ट जी ने नवगीतकार बसंत शर्मा अध्यक्ष अभियान का गीत' महलों से कब बाहर निकले' का गायन किया। मीनाक्षी शर्मा 'तारिका' ने आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' रचित छत्तीसगढ़ी गीत 'भोर भई दूँ बुहार देहरी अंगना' का मनोहर गायन किया। सारांश गौतम ने विदिशा की युवा कवयित्री श्रद्धा जैन की ग़ज़ल 'मुश्किलें आएंगी जब ये फैसला हो जायेगा / कितने पानी में हैं सब इसका पता हो जाएगा' का सस्वर पाठ किया। इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक प्रोफ़ेसर शोभित वर्मा ने प्रभावी स्वर में गाँधी जी के मंतर तथा अज्ञेय जी की रचना हिरोशिमा का पाठ कर आज के सारस्वत अनुष्ठान की पूर्णाहुति की। अध्यक्ष डॉ. नीना उपाध्याय ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान द्वारा हर दिन किये जा रहे इस सारस्वत अनुष्ठान को सराहते हुए इसे अभूतपूर्व बताया।
***

कोई टिप्पणी नहीं: