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सोमवार, 25 मई 2020

गीत: अंधश्रद्धा महापौरणिक जातीय, सुमेरु छंद

गीत:
अंधश्रद्धा
महापौरणिक जातीय, सुमेरु छंद
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
आदमी को देवता, मत मानिए
आँख पर अपनी न पट्टी बाँधिए
स्वच्छ मन-दर्पण हमेश यदि न हो-
बदन की दीवार पर मत टाँगिए
लक्ष्य वरना आप है
*
कौन गुरुघंटाल हो, किसको पता?
बुद्धि को तजकर नहीं, करिए खता
गुरु बनाएँ तो परख भी लें उसे-
बता पाए गुरु नहीं तुझको धता
बुद्धि तजना पाप है
*
नीति-मर्यादा सुपावन धर्म है
आदमी का भाग्य लिखता कर्म है
शर्म आये कुछ न ऐसा कीजिए-
जागरण ही जिंदगी का मर्म  है 
देव-प्रिय निष्पाप है
***

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