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सोमवार, 31 जुलाई 2017

muktika

मुक्तिका:
संजीव
*
कैसा लगता काल बताओ?
तनिक मौत को गले लगाओ
.
मारा है बहुतों को तड़पा
तड़प-तड़पकर मारे जाओ
.
सलमानों के अरमानों की
चिता आप ही आप जलाओ
.
समय न माफ़ करेगा तुमको
काम देश के अगर न आओ
.
दहशतगर्दों तज बंदूकें
चलो खेत में फसल उगाओ
***
३१-७-२०१५
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#divyanarmada
#हिंदी_ब्लॉगर
मुक्तिका:
संजीव
*
याद जिसकी भुलाना मुश्किल है
याद उसको न आना मुश्किल है
.
मौत औरों को देना है आसां
मौत को झेल पाना मुश्किल है
.
खुद को कहता रहा मसीहा जो
उसका इंसान होना मुश्किल है
.
तुमने बोले हैं झूठ सौ-सौ पर
एक सच बोल सकना मुश्किल है
.
अपने अधिकार चाहते हैं सभी
गैर को हक़ दिलाना मुश्किल है
***
salil.sanjiv@gmail.com
#दिव्यनर्मदा
#divyanarmada
#हिंदी_ब्लॉगर

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