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रविवार, 30 जुलाई 2017

hadauti muktika

हाड़ौती मुक्तिका:
संजीव
*
आस नरमदा तैर भायला
बह जावैगो बैर भायला
.
गेलो आपूँ आप मलैगो
मंज़िल की सुण टेर भायला
.
मुसकल है हरदा सूं खड़बो
तू आवैगो फेर भायला
.
घणू कठण है कविता करबो
आकासां की सैर भायला
.
सूल गइल पर यार सलिल' तू
चाल मेलतो पैर भायला
***
salil.sanjiv@gmail.com
#divyanarmada
#दिव्यनर्मदा
#हिंदी_ब्लॉगर

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