मुक्तक 
मंगलवार, दिनांक ४-७-२०१७ 
विषय कसूर
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ओ कसूरी लाल! तुझको कया कहूँ?
चुप कसूरों को क्षमाकर क्यों दहूँ? 
नटखटी नटवर न छोडूँ साँवरे!
रास-रस में साथ तेरे हँस बहूँ.
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तू कहेगा झूठ तो भी सत्य हो.
तू करे हुडदंग तो भी नृत्य है.
साँवरे ओ बाँवरे तेरा कसूर 
जगत कहता ईश्वर का कृत्य है. 
*
कौन तेरे कसूरों से रुष्ट है?
छेड़ता जिसको वही संतुष्ट है.
राधिका, बाबा या मैया जशोदा-
सभी का ऐ कसूरी तू इष्ट है. 
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#हिंदी_ब्लॉगिंग
 
 
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