कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

muktak

मुक्तक:
जब तक आशा साथ न देगी, मन अशोक हो नहीं सकेगा। 
श्वास अर्पिता, आस अपर्णा, हो तो तन हर लक्ष्य वरेगा।। 
कर प्रयास-पूजा तू निश-दिन, तब अभिषेक सफलता करती-
कितने घाट-शिला पथ रोकें, उन्हें तोड़कर 'सलिल' बहेगा।।
***
salil.sanjiv@gmail.com
#हिंदी_ब्लॉगिंग
#हिंदीब्लॉगर.कॉम

कोई टिप्पणी नहीं: