कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 25 जुलाई 2017

sahityik nakal

क्या यह मौलिक सृजन है???
मुख पुस्तक पर एक द्विपदी पढ़ी. इसे सराहना भी मिल रही है. 
मैं सराहना तो दूर इसे देख कर क्षुब्ध हो रहा हूँ. 
आप की क्या राय है?
*
Arvind Kumar
उनके दर्शन से जो बढ़ जाती है मुख की शोभा
वोह समझते हैँ कि रोगी की दशा उत्तम है
*
उनके देखे से जो बढ़ जाते हैं मुंह की रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है - मिर्ज़ा ग़ालिब
***
#दिव्यनर्मदा
#हिंदी_ब्लॉगर

कोई टिप्पणी नहीं: