कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

दोहा

दोहा सलिला
*
पाठक मैं आनंद का, गले मिले आनंद
बाहों में आनंद हो, श्वास-श्वास मकरंद
*
आनंदित आनंद हो, बाँटे नित आनंद
हाथ पसारे है 'सलिल', सुख दो आनंदकंद!
*
जब गुड्डो दादी बने, अनुशासन भरपूर
जब दादी गुड्डो बने, हो मस्ती में चूर
*
जिया लगा जीवन जिया, रजिया है हर श्वास
भजिया-कोफी ने दिया, बारिश में उल्लास
*
पता लापता जब हुआ, उड़ी पताका खूब
पता न पाया तो पता, पता कर रहा डूब
*
#हिंदी_ब्लॉगिंग

कोई टिप्पणी नहीं: