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शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

muktak

मुक्तक:
मत सोच यार, पा-बाँट प्यार,
सह दर्द, दे ख़ुशी तू उधार।
पतवार-नाव, हो जोश-होश
कर-करा पार, तू सलिल-धार।।
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salil.sanjiv@gmail.com
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