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गुरुवार, 13 जुलाई 2017

उपकार तुम्हारा



धुँधली सी रोशनी है 
धीमी सी आहट है 
मन के क्षितिज पर 
कोई सूरज उदित होने को है !
कल्पना का पंछी 
उड़ान भरने को बेकल है 
हे मेरे आराध्य 
उसके डैनों में 
इतनी शक्ति भर देना कि 
अपने गंतव्य तक पहुँचने में
उसे कोई बाधा न आये 
और प्रात की इस बेला में 
उसका मन उल्लास से 
उत्साह से भर जाए ! 
उपकार होगा तुम्हारा !




साधना वैद


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