व्यापम घोटाला का दुष्प्रभाव :
व्यापम घोटाले को इतना छोटा रूप मत दीजिये। पिछले २० सालों में कितने फर्जी डॉक्टर तैयार हुए जो पोसे फेंककर एडमिशन लेने के बाद पैसे के ही दम पर परीक्षा उत्तीर्ण हुए और बाजार में दुकान खोले मरीजों को लूट और मार रहे हैं. इनकी पहचान कैसे हो? मरीज डॉक्टर पर भरोसा कैसे करे? ये फर्जी डॉक्टर हजारों की संख्या में हैं और लाखों मरीज मार चुके हैं, बेधड़क मार रहे हैं और खुद के मरने तक मारते रहेंगे। इनसे कैसे बचा जाए? कोई राह है क्या? ये फर्जी डॉक्टर आतंकवादियों से भी ज्यादा खतरनाक हैं. सबसे ज्यादा अफ़सोस की बात यह है कि आई. एम. ए. जैसी संस्थाएं डॉक्टरों को बचने मात्र में रूचि रखती हैं. डॉक्टरी के पेशे में ईमानदारी पर जरा भी ध्यान नहीं है.
क्या पिछले २० वर्षों में जो डॉक्टरी परीक्षा उत्तीर्ण हुए उनकी फिर से परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए? इंडियन मेडिकल असोसिएशन अपने सभी सदस्यों को उनकी पात्रता और ज्ञान प्रमाणित करने के लिए बाध्य क्यों नहीं करता? इनके प्रैक्टिसिंग लाइसेंस अस्थायी रूप से निरस्त कर आई. एम. ए. प्रवीणता परीक्षा ले और उत्तीर्ण हों उन्हें जो नए लाइसेंस जारी करे.
कोई राजनैतिक दल, एन जी ओ, वकील भी इसके लिए पहल नहीं कर रहे.
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